सीएम बघेल ने राजस्व से संबंधित लंबित प्रकरणों को लेकर जताई नाराजगी, कहा लेटलतीफी के लिए कलेक्टर होंगे जिम्मेदार

सीएम बघेल ने राजस्व से संबंधित लंबित प्रकरणों को लेकर जताई नाराजगी, कहा लेटलतीफी के लिए कलेक्टर होंगे जिम्मेदार
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य में राजस्व से संबंधित लंबित प्रकरणों को लेकर जमकर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा है कि इस तरह की लेटलतीफी के लिए जिला कलेक्टर जिम्मेदार होंगे।

हरिभूमि न्यूज : रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य में राजस्व से संबंधित लंबित प्रकरणों को लेकर जमकर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा है कि इस तरह की लेटलतीफी के लिए जिला कलेक्टर जिम्मेदार होंगे। यही नहीं ऐसे मामलों को लेकर मुख्य सचिव को कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। खास बात ये है कि राजधानी रायपुर समेत दुर्ग, राजनांदगांव, बिलासपुर और जांजगीर-चांपा जिले में राजस्व के लाखों लंबित प्रकरण है। दूसरी ओर किसानों को अपने प्रकरणों के निपटारे के लिए पटवारी से लेकर कलेक्टर दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं।

सामने आई सीएम की नाराजगी

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के सभी कलेक्टरों को सख्त चेताया है कि अगर किसी भी तरह राजस्व प्रकरण में लेटलतीफी हुई तो कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने तीखी नाराजगी जताई है। सीएम ने दो टूक निर्देश दिए हैं कि राजस्व प्रकरणों में देरी नहीं होनी चाहिए नहीं तो सीधे कलेक्टरों पर कार्रवाई होगी।

देरी बर्दाश्त नहीं, मैं करूंगा समीक्षा

मुख्यमंत्री ने दो टूक कह दिया है कि राजस्व प्रकरणों में किसी तरह की देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने तमाम राजस्व प्रकरणों के त्वरित निपटान के भी निर्देश दिए हैं। सीएम खट्टर बघेल ने कलेक्टरों को निर्देश देते हुए कहा कि जिस तरह की देरी राजस्व प्रकरणों में हो रही है, वह बर्दाश्त नहीं की जाएगी। राजस्व प्रकरणों की समीक्षा सीएम फरवरी के आखिरी सप्ताह में करने वाले हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि नामांकन, सीमांकन और डायवर्सन समेत तमाम राजस्व प्रकरणों की समीक्षा की जाएगी। अगर कुछ गड़बड़ी पाई गई तो तत्काल कार्रवाई भी होगी।

इन पांच जिलों में लाखों मामले

राजस्व विभाग के मुताबिक राज्य के पांच जिलों में राजस्व के सबसे अधिक प्रकरण हैं। इनमें पहले नंबर पर दुर्ग जिला है, जहां मामलों की संख्या 1 लाख 34 हजार 766 है। इसके बाद रायपुर में 1 लाख 20 हजार 547, राजनांदगांव में 1 लाख 4 हजार 619, बिलासपुर में 94 हजार 236, और जांजगीर-चांपा में 84 हजार 519 प्रकरण हैं।

इन जिलों में सबसे कम प्रकरण

एक तरफ जहां राज्य के पांच बड़े जिलों में सबसे अधिक राजस्व प्रकरण हैं, वहीं नवगठित जिलों में राजस्व प्रकरणों की संख्या अन्य जिलों के मुकाबले कम है। सबसे कम प्रकरणों वाले जिलों में मोहला-मानपुर-चौकी में 2 हजार 320,खैरागढ़- छुईखदान- गंडई में 3 हजार 54, सक्ती में 3 हजार 890, सारंगढ़-बिलाईगढ़ में 4 हजार 292, मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर में 5 हजार 452 प्रकरण हैं।

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