सरकार के जवाब से नाखुश राज्यपाल, नहीं करेंगे आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर

सरकार के जवाब से नाखुश राज्यपाल, नहीं करेंगे आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर
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छत्तीसगढ़ में आरक्षण संशोधन विधेयक पर राजभवन द्वारा भेजे 10 सवालों पर राजभवन को सरकार का जवाब मिल गया। सूत्रों के अनुसार राज्यपाल इससे संतुष्ट नहीं हैं।

रायपुर। छत्तीसगढ़ में आरक्षण संशोधन विधेयक पर राजभवन द्वारा भेजे 10 सवालों पर राजभवन को जवाब मिल गया। सूत्रों के अनुसार राज्यपाल इससे संतुष्ट नहीं हैं। उन्हें सवालों का जवाब नहीं मिला। जवाब न मिलने से राज्यपाल अनुसुईया उइके नाखुश हैं। जवाब नहीं आने पर इस पर हस्ताक्षर नहीं किए जाएंगे। अब वे सरकार को फिर से पत्र भेजने की तैयारी कर रही हैं।

आरक्षण संशोधन विधेयक पर राजभवन द्वारा 10 बिंदुओं पर सरकार से जानकारी मांगी गई थी। इसमें उन्होंने यह पूछा था कि सुप्रीम कोर्ट ने 58 प्रतिशत आरक्षण अवैधानिक ठहराया तो 76 प्रतिशत वैधानिक कैसे होगा? रविवार को सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव कमलप्रीत सिंह ने राज्यपाल के सचिव को सवालों के जवाब में एक पत्र भेजा। उन्होंने पत्र में सवालों पर संविधान के प्रावधान का हवाला देते हुए असहमति जताई। राजभवन सूत्रों के अनुसार बिंदुवार जवाब न मिलने से राज्यपाल नाखुश हैं। सभी बिंदुओं पर जवाब न मिलने पर राजभवन की ओर से फिर से सरकार को पत्र भेजने की तैयारी की जा रही है। बताया जा रहा है कि जब तक इसका समाधान नहीं हो जाता, आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल हस्ताक्षर नहीं करेंगी।

25 दिन से राजभवन में अटका विधेयक

विधानसभा में 2 दिसंबर को छत्तीसगढ़ लोक सेवा आरक्षण संशोधन विधेयक और शैक्षणिक संस्था में प्रवेश के लिए आरक्षण संशोधन विधेयक पारित हुआ था। इन दोनों विधेयकों में आदिवासी वर्ग को 32, अनुसूचित जाति को 13 और अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 और सामान्य वर्ग के गरीबों को 4 आरक्षण का प्रस्ताव है। छत्तीसगढ़ में इसे मिलाकर अब 76 प्रतिशत आरक्षण हो जाएगा। इस विधेयक पर अब तक राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं होने से प्रदेश में सामाजिक संगठनों में नाराजगी देखी जा रही है।

राष्ट्रपति को दी थी जानकारी

राज्यपाल ने आरक्षण विधेेयक को लेकर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से दिल्ली में मिली थी। उन्होंने इसके संबंध में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को भी जानकारी दी थी। वहां से आने के बाद उन्होंने साफ कर दिया था कि संविधान के अनुसार विधिक रूप से आरक्षण विधेयक पर सरकार के जवाब के बाद ही हस्ताक्षर करेंगी। सरकार की ओर से जो जवाब भेजा गया है उससे भी राज्यपाल असहमत हैं।

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