Chhattisgarh: कोरोना को लेकर सख्ती बरकरार, नए स्वरूपों का हो सकता है खतरा

कोरोना के मामले भले ही प्रदेश में बेहद कम हो चुके हैं, मगर इसके नए स्वरूप की पहचान के लिए अभी भी स्वास्थ्य विभाग को भुवनेश्वर लैब का सहारा लेना पड़ रहा है। म्यूटेंट की पहचान के लिए भेजे गए पांच सैंपल की रिपोर्ट अब तक नहीं मिली है और मरीज ठीक भी हो चुके हैं। एम्स में जीनोम सीक्वेंसिंग की सुविधा तो है, मगर किट नहीं होने की वजह से यह जांच नहीं हो पा रही थी।
चीन में कोरोना की नई लहर के बाद प्रदेश में भी स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट किया गया था। यहां मिलने वाले कोरोना पॉजिटिव के सैंपल में नए स्वरूप की पहचान के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजने के निर्देश केंद्र सरकार द्वारा दिए गए थे। एम्स में दूसरी लहर के दौरान म्यूटेंट की जांच के लिए लैब को तैयार तो किया गया, मगर कोरोना के मामले समाप्त होने की वजह से टेस्ट किट का आर्डर नहीं दिया गया, इसकी वजह से विभाग को जांच के लिए सैंपल भुवनेश्वर तक भेजना पड़ा था। महीनेभर का समय बीतने के बाद भी भेजे गए पांच सैंपल की रिपोर्ट अभी तक विभाग को नहीं मिली है और कोरोना से संक्रमित मरीज ठीक भी हो चुके हैं। वर्तमान में कोरोना के सक्रिय मामले रायपुर और दुर्ग जिले से संबंधित हैं और शेष जिलों में कोरोना के सक्रिय मामले नहीं है।
वेबसाइट बंद
कोरोना के मामले खत्म होने के काफी पहले से ही इसके इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने का दौर खत्म हो चुका था। इसकी वजह से स्वास्थ्य विभाग की वेबसाइट में मौजूद कोविड बेड की जानकारी देने वाली साइट का उपयोग भी कर दिया गया था। अभी कोरोना के मामले में बुलेटिन और केस मिलने पर उसके कांटेक्ट ट्रेसिंग पर जोर दिया जा रहा है।
नेजल वैक्सीन का पता नहीं
अभी कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन लगवाने वालों की सुगबुगाहट है। बच्चों की वैक्सीन खत्म हो चुकी है और बड़ों का टीका सीमित संख्या में बाकी है, जिसे एक-दो टीका केंद्रों और एनजीओ के माध्यम से लगवाया जा रहा है। इसी तरह केंद्र सरकार द्वारा नेजल वैक्सीन को स्वीकृति दी गई थी। वैक्सीन का उपयोग निजी अस्पतालों के माध्यम से किया जाना था, मगर छत्तीसगढ़ में इसे लाने के मामले में अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है।
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