Chhattisgarh News: ऑनलाइन नहीं हो सके भू अभिलेख, शासन के खाते में 60 लाख वापस

Chhattisgarh News: प्रदेश की राजधानी होने के बावजूद रायपुर जिले के सालों पुराने भू अभिलेख रिकॉर्ड को अब तक ऑनलाइन नहीं किया जा सका है। इसकी प्रक्रिया पिछले पांच सालों से चल रही है, पर अब तक अधूरी है। इसके लिए शासन ने डिजिटल इंडिया (Digital India) भू अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत प्रशासन को एक करोड़ रुपए जारी किए थे। इसमें से चार तहसीलों के आधुनिकीकरण पर करीब 40 लाख रुपए खर्च भी किए गए, लेकिन शेष रकम से भू अभिलेख ऑनलाइन किया जाना संभव नहीं हो पाया। इसके लिए प्रशासन को करीब डेढ़ करोड़ रुपए की और जरूरत पड़ रही थी, लेकिन यह राशि स्वीकृत नहीं होने से काम आधे में ही अटक गया। इसके बाद शेष राशि 60 लाख रुपए भी शासन के खाते में वापस जमा करा दी गई, जिसके बाद से भू अभिलेख को ऑनलाइन किए जाने की प्रक्रिया भी ठंडे बस्ते में चली गई। इधर प्रशासन भी अब भू अभिलेख को ऑनलाइन किए जाने की प्रक्रिया भूलकर तहसील कार्यालय भवन को नया स्वरूप देने की प्रक्रिया में जुट गया है। इसके तहत रायपुर तहसील कार्यालय की जगह पांच मंजिला बिल्डिंग बनाने करीब 8 करोड़ रुपए का प्रस्ताव भी शासन को भेजा गया है।
रिकॉर्ड रूम में डंप पड़े भू अभिलेख हो रहे खराब
कलेक्टोरेट भवन के रिकॉर्ड रूम में जिलेभर के भू अभिलेख डंप पड़े हुए हैं। यहां 116 साल से भी ज्यादा पुराने रिकॉर्ड हैं, जो देखरेख के अभाव में खराब हो रहे हैं। इन रिकॉर्ड में कई दस्तावेजों को लोगों की मांग या विभिन्न राजस्व प्रकरणों में बार-बार निकाला जाता है। इसके कारण दस्तावेज और खराब होते जा रहे हैं। सालों पुराने होने के कारण अगर इन दस्तावेजों को ऑनलाइन नहीं किया गया तो धीरे धीरे सभी रिकॉर्ड पूरी तरह से नष्ट हो जाएंगे। इसके कारण भू अभिलेखों की नकल नहीं मिलने से राजस्व संबंधी प्रकरणों का निपटारा भी नहीं हो पाएगा।
धमतरी को मिल चुका है राष्ट्रपति सम्मान
भूमि संबंधी रिकॉर्ड सहेजने और ऑनलाइन (Online) करने बनाई गई व्यवस्था के लिए धमतरी जिले को राष्ट्रपति की ओर से सम्मानित किया जा चुका है। इसके लिए धमतरी को प्लेटिनम अवार्ड दिया गया है, जबकि राजधानी होने के बावजूद रायपुर जिले की स्थिति इस मामले में काफी खराब है।
40 लाख में सिर्फ रिकॉर्ड रूम बनाकर कॉम्पैक्टर स्थापित
डिजिटल इंडिया भू अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत प्रशासन को मिले एक करोड़ रुपए में से जो राशि खर्च की गई, उससे रायपुर, तिल्दा, आरंग एवं अभनपुर तहसील कार्यालय के सिर्फ रिकॉर्ड रूम में कॉम्पैक्टर ही स्थापित किए गए हैं, वहीं न तो दस्तावेजों की बार कोडिंग हुई, न स्कैनिंग और न ही अभिलेखों की कंप्यूटरीकृत कॉपी तैयार हो पाई। यहां तक कंप्यूटरों की खरीदी भी नहीं की गई है।
फिलहाल चालू रिकार्ड ही ऑनलाइन
अधिकारियों के अनुसार अभी फिलहाल चालू रिकॉर्ड ही ऑनलाइन भुइयां सॉफ्टवेयर (Online Bhuiyan Software) पर देखे जा सकते हैं, जबकि सभी दस्तावेजों को ऑनलाइन किए जाने से कौन सी जमीन कब, कितने टुकड़ों में किसने, किन्हें बेची, यह सब एक क्लिक में देखा जा सकेगा। ऑनलाइन नहीं होने के कारण लोग पुराने दस्तावेज देखने के लिए आवेदन लगाते हैं, जिसके लिए उन्हें महीनों तक इंतजार तक करना पड़ता है।
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स्वीकृत नहीं हुई राशि
अपर कलेक्टर बीसी साहू (Collector BC Sahu) ने बताया कि भू अभिलेख रिकॉर्ड ऑनलाइन करने की प्रक्रिया के लिए दोबारा राशि अभी स्वीकृत नहीं हुई है। पुरानी राशि कम पड़ने के कारण प्रक्रिया आधे में ही अटक गई थी। राशि जारी होते ही प्रक्रिया फिर शुरू की जाएगी।
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