सरकारी विभागों ने 13 सौ करोड़ का बिजली बिल दबाया, नगरीय निकाय ने 498 में से दिए 200 करोड़

हरिभूमि न्यूज : रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य पॉवर कंपनी को प्रदेश के सरकारी विभागों ने बकाया का बड़ा करंट दिया है। सरकारी विभाग तो हमेशा से ही बिल जमा नहीं करते हैं। इन पर 13 सौ करोड़ का बकाया हो गया है, स्थिति यह है कि नोटिस पर नोटिस देने के बाद भी कोई भी सरकारी विभाग सुनता नहीं है। हरिभूमि में 11 नवंबर को प्रमुखता से खबर का प्रकाशन होने के बाद अब जाकर एक मात्र नगरीय निकाय विभाग से 200 करोड़ मिले हैं, जबकि नगरीय निकायों पर 498 करोड़ बकाया है। इस समय सबसे ज्यादा करीब 478 करोड़ का बकाया पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग है। कुछ विभाग जरूर ऐसे हैं, जो बिल जमा करते हैं, इसलिए इन पर बकाया कम है।
प्रदेश में आम उपभोक्ता पर थोड़ा सा बकाया होने पर उनकी बिजली कट करने पॉवर कंपनी के कर्मचारी पहुंच जाते हैं। अब यह बात अलग है कि पहली बार कोरोनाकाल में जरूर आम उपभोक्ताओं की परेशानी को देखते हुए उनको राहत देते हुए कोरोनाकाल में बिजली नहीं काटी गई थी, लेकिन अब जिनका बकाया है, उनकी बिजली काटी जा रही है। वहीं सरकारी विभागों की बिजली कभी कट नहीं की जाती है। यही वजह है कि सरकारी विभाग हमेशा से बेलगाम रहे हैं। ये बिल ही जमा नहीं करते। अंत में पॉवर कंपनी को प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर बजट में विभागीय बजट से ही बिलों का भुगतान लेना पड़ता है। पॉवर कंपनी ने आने वाले बजट सत्र को देखते हुए सरकार से ही सरकारी विभागों के पैसे हमेशा की तरह मांगे हैं।
इन पर कम बकाया
जहां एक तरफ सबसे ज्यादा बकाया वाले विभाग हैं, वहीं कुछ ऐेसे विभाग भी हैं, जिन पर बकाया कम है। ऐसे विभागों में सबसे कम बकाया विधि-विधायी विभाग पर 1 करोड़ 52 लाख रुपए है। इसके बाद कृषि एवं प्रोद्यौगिक विभाग पर 1 करोड़ 10 लाख का बकाया है। अन्य विभागों में उच्च शिक्षा पर 1 करोड़ 7 लाख, ग्रामोद्योग पर 75 लाख, सहकारिता विभाग पर 63 लाख के साथ ही कई विभागों पर एक से 25 लाख तक का बकाया है। यह पूरा बकाया अगस्त माह तक का है। अब इस बकाया में और इजाफा हो गया है।
ये हैं बड़े बकायादार
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग - 478 करोड़
नगरीय निकाय एवं विकास विभाग - 298करोड़
स्कूल शिक्षा विभाग - 62 करोड़
चिकित्सा विभाग - 53 करोड़
पुलिस विभाग - 23 करोड़
जल संसाधन विभाग - 20 करोड़
आवास एवं पर्यावरण - 11 करोड़
महिला एवं बाल विकास - 14 करोड़
राजस्व एवं आपदा प्रबंधन - 10.17 करोड़
वन विभाग - 7 करोड़
आदिम जाति विभाग - 5 करोड़
लोक निर्माण विभाग - 7.55 करोड़
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