Raipur News: छत्तीसगढ़ पंचायत विभाग से मिले 750 करोड़ बकाया बिजली बिल, अभी भी करोड़ों का बकाया

Raipur News: छत्तीसगढ़ में राज्य पावर कंपनी (Power Company) को सरकारी विभाग ही हर साल दो हजार करोड़ का करंट लगाने का काम कर रही है। विभाग हर साल दो हजार करोड़ से ज्यादा की बिजली जलाते हैं, लेकिन जहां तक बिल जमा करने का सवाल है, तो ज्यादातर विभाग फूटी कौड़ी नहीं देते हैं। राज्य बनने के बाद से हमेशा से सरकारी विभागों पर करोड़ों का बकाया रहता है। ऐसा कभी नहीं हुआ है कि सरकारी विभागों (Government Department) का पूरा बिल भरा हो। इस साल 2121 करोड़ की बिजली जलाने के बाद पहले प्रदेश सरकार से महज 385 करोड़ मिले और 1736 करोड़ का बकाया है।
प्रदेश भर के सरकारी विभाग राज्य बनने के बाद से ही बेलगाम है। वहीं बरसों से विभाग बिजली (Department Electricity) जलाने के बाद बिल ही जमा नहीं करते। इनमें नगरीय निकाय विभाग पहले नंबर पर है। इन पर हमेशा से ही करोड़ का बकाया रहता है, आम जनता से जुड़े विभाग होने के कारण इनकी बिजली कभी कट नहीं होती। इसी तरह से स्वास्थ्य विभाग में अस्पतालों का बिजली बिल जमा नहीं होता। पुलिस थाने भी कभी बिल जमा नहीं करते। ऐसा कोई भी सरकारी विभाग नहीं जिस पर बकाया न हो। हालांकि कुछ विभाग पैसा जमा करते हैं।
सरकार से लगानी पड़ती है गुहार
प्रदेश में आम उपभोक्ता पर थोड़ा सा बकाया होने पर उनकी बिजली कट (Power Cut) करने पॉवर कंपनी के कर्मचारी पहुंच जाते है। वहीं सरकारी विभागों की बिजली कभी कट नहीं की जाती। यही वजह है कि सरकारी विभाग हमेशा से ही बेलगाम रहे हैं। ये बिल ही जमा नहीं करते। अंत में पावर कंपनी को प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर बजट में विभागीय बजट से ही बिलों का भुगतान लेना पड़ता है।
जलाई 2121 करोड़ की बिजली
प्रदेश के सरकारी विभागों (Government Departments) ने 2022-23 में अप्रैल से लेकर मार्च तक 2121 करोड़ की बिजली जलाई है। इसमें से पहले राज्य सरकार से 385 करोड़ मिले हैं। इसके बाद भी विभागों पर 1736 करोड़ का बकाया था। इस बकाया के लिए पॉवर कंपनी ने राज्य सरकार को मांग पत्र भेजा तो वहां से अभी पंचायत विभाग के बजट से 750 करोड़ काटकर दिए गए हैं। बाकी विभागों से अभी कोई भुगतान नहीं मिला है।
इन पर कम बकाया
जहां एक तरफ सबसे ज्यादा बकाया वाले विभाग हैं। वहीं कुछ ऐसे विभाग भी हैं, जिन पर बकाया कम है। ऐसे विभागों में सबसे कम बकाया विधायी विभाग पर 1 करोड़ 60 लाख रुपए है। इसके बाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Technology) पर 1 करोड़ 15 लाख का बकाया है। अन्य विभागों में उच्च शिक्षा पर 1 करोड़ 10 लाख, ग्रामोद्योग पर 78 लाख, सहकारिता विभाग पर 65 लाख के साथ ही कई विभागों पर एक से 25 लाख तक का बकाया है।
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