छत्तीसगढ़ की रैंकिंग सुधरी, 21वें से पहुंचा 19वें स्थान पर

छत्तीसगढ़ की रैंकिंग सुधरी, 21वें से पहुंचा 19वें स्थान पर
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नीति आयोग द्वारा 3 जून को कम्पोजिट एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2020-21 जारी किया गया। इस रिपोर्ट में राज्यों की रैंकिंग में वर्ष 2019-20 में छत्तीसगढ़ की रैंकिंग में सुधार हुआ है। पहले 21वें स्थान पर था अब यह 19वें स्थान पर पहुंच गया है।

नीति आयोग द्वारा 3 जून को कम्पोजिट एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2020-21 जारी किया गया। इस रिपोर्ट में राज्यों की रैंकिंग में वर्ष 2019-20 में छत्तीसगढ़ की रैंकिंग में सुधार हुआ है। पहले 21वें स्थान पर था अब यह 19वें स्थान पर पहुंच गया है। राज्य का स्कोर पूर्व में जहां 56 था वह अब 5 अंकों के सुधार के साथ 61 पर आ गया है। नीति आयोग के वर्गीकरण के अनुसार छत्तीसगढ़ को 'परफार्मर' राज्य के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष अजय सिंह ने कहा कि राज्य द्वारा प्रारंभ की गयी कई विकासोन्मुख गतिविधियों के कारण कई लक्ष्यों में उल्लेखनीय सुधार देखा गया। राज्य को सतत् विकास लक्ष्य के गोल क्रमांक 5 लैंगिक समानता में 64 का स्कोर प्राप्त करने के कारण इसे शीर्ष राज्यों की श्रेणी में रखा गया। संपोषणीय सुरक्षित शहर में राज्य का स्कोर 49 से बढ़कर 78 हो गया। इसी प्रकार किफायती आधुनिक ऊर्जा, लैंगिक समानता, असमानता में कमी, भूखमरी समाप्त करना आदि में भी क्रमशः सुधार देखा गया।

महिलाओं की स्थिति सुधरी

लैंगिक समानता में सुधार के लिए किए गए प्रयासों के अच्छे परिणाम दिखाई दे रहे हैं, जिसमें लैंगिक अनुपात में सुधार महिलाओं पर हिंसा के मामलों में कमी प्रजातांत्रिक संस्थाओं में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि नौकरियों में महिलाओं को पर्याप्त अवसर आदि ऐसे कारण हैं जिनसे इस लक्ष्य में बेहतर सुधार परिलक्षित हुआ है।

115 सूचकांकों का मूल्यांकन

नीति आयोग ने एसडीजी इंडिया इंडेक्स का हर नया संस्करण पुराने संस्करण से अधिक परिष्कृत हुआ है। जहां वर्ष 2018-19 में इसमें 13 गोल, 39 टारगेट और 62 संकेतकों को शामिल किया गया था वर्ष 2019-20 में 16 गोल, 54 टारगेट और 100 संकेतक थे। इस संस्करण 3 में कुल 17 गोल, 70 टारगेट और 115 संकेतकों को शामिल कर राज्यों का मूल्यांकन किया गया। छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग द्वारा उन संकेतकों की पहचान की गयी है जिनमें और भी कार्य किए जाने हैं जिससे सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति वर्ष 2030 तक हो सके।


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