Raipur: छत्तीसगढ़ में हड़ताल करने वालों का कटेगा वेतन, जारी हुआ 17 साल पुराना ये आदेश

Raipur News: छत्तीसगढ़ के शासकीय सेवकों ने अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर एक दिन का सामूहिक अवकाश लेकर सरकार का कामकाज ठप रखा। इस मामले को सरकार ने अत्यंत गंभीरता से लेते हुए कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आदेश दे दिया है। खास बात ये है कि कर्मियों के खिलाफ इस कार्रवाई के लिए सरकार ने 17 साल पुराना आदेश निकाला है। इस आदेश में साफ किया गया है कि बिना पूर्व स्वीकृति के सामूहिक अवकाश पर जाने अवकाश स्वीकृत नहीं होगा और न ही वेतन मिलेगा।
7 जुलाई को गए थे सामूहिक अवकाश पर
छत्तीसगढ़ के शासकीय सेवक अपनी पांच सूत्रीय मांगों के समर्थन में चरणबद्ध आंदोलन के तहत 7 जुलाई को सामूहिक अवकाश पर गए थे। इसके बाद सरकार ने कर्मियों के खिलाफ कड़ा रुख दिखाया है। खास बात ये है कि कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए 10 अप्रैल 2006 यानी 17 साल पहले जारी हुए सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश का हवाला दिया गया है।
क्या लिखा है 17 साल पुराने आदेश में
राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने 2006 में जारी आदेश में कहा था कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम के तहत प्रदर्शन तथा हड़तालें और स्वीकृत होने के पूर्व अवकाश पर पस्तरथान राज्य के शासकीय सेवकों के लिए प्रतिबंधित है। इसी आदेश में ये भी कहा गया है शासकीय सेवकों को इस बात से अवगत कराया जाए और ये स्पष्ट किया जाए कि उनके द्वारा ऐसे कृत्य किए जाने पर वे अनुशासनात्मक कार्रवाई के भागी होंगे।
छुट्टी भी नहीं, वेतन कटेगा
इस आदेश की मानें तो बिना किसी पूर्व स्वीकृति के सामूहिक अवकाश लेने पर जाने या हड़ताल में भाग लेने की दशा में अनाधिकृत अनुपस्थिति के दिनों और हड़ताल का वेतन नहीं दिया जाएगा। इसके साथ ही न ही इस प्रकार की अनुपस्थिति के दिवसों का अवकाश स्वीकृत किया जाएगा। ऐसे दिवसों की अवधि का कोई वेतन नहीं दिया जाएगा। इस अवधि को ब्रेक इन सर्विस माना जाएगा। इसके अलावा जब कभी शासकीय सेवकों द्वारा इस प्रकार के कृत्य किए जाएं जो ऐसी घोर अनुशासनहीनता करने वालों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश सक्षम अधिकारी दे सकेंगे।
दमनात्मक कार्रवाई के बजाय बात करें
इस मामले में छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा का कहना है कि हम लोग बिना पूर्व सूचना के हड़ताल पर नहीं गए। हमने 23 जून को मुख्य सचिव को इस बारे में सूचना दी थी। ऐसे में बिना सूचना अनुपस्थित होने का सवाल ही नहीं उठता है। श्री वर्मा ने कहा है कि सरकार को दमनात्मक कार्रवाई की बजाय मांगपत्र के आधार पर कर्मचारी संगठनों से बात करनी चाहिए और रास्ता निकालना चाहिए।
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