LOCKDOWN : मनरेगा में रोजगार देने में छत्तीसगढ़ अव्वल, गुजरात में मिला सबसे कम काम

रायपुर। कोरोना के चलते किये गये लॉकडाउन में ग्रामीणों के सामने आर्थिक समस्या खड़ी हो गई थी। छत्तीसगढ़ सरकार लगातार श्रमिकों के हित में कार्य करने का प्रयास करती आ रही है। देश की प्रमुख शोध संस्था सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) के लोकनीति कार्यक्रम के परामर्श से पूरे भारत में गांव कनेक्शन सर्वे में सामने आया कि लॉकडाउन के दौरान छत्तीसगढ़ में 70 फीसदी श्रमिकों को मनरेगा में काम मिला है। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है।
टीएस सिंहदेव ने ट्वीट कर कहा है कि- यह अत्यंत गर्व की बात है कि मनरेगा के द्वारा काम पाने वाले लोगों की संख्या में छत्तीसगढ़ सबसे आगे है। पूरे देश के सर्वे में जहां 80% प्रतिभागियों ने काम न मिलने की बात उजागर की वहीं छत्तीसगढ़ में 70% प्रतिभागियों ने लॉकडाउन में काम मिलने की बात स्वीकारी।
जब प्रवासी शहरों से गांव की तरफ लौट कर वापस आए तो मनरेगा को रोजगार का प्रमुख विकल्प माना जा रहा था। सर्वे में सामने आया कि राजस्थान में 59 प्रतिशत लोगों को काम मिला यानी काम की मांग कर रहे आधे से ज्यादा लोगों को मनरेगा में काम मिला। इसी तरह छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड में भी 70 और 65 प्रतिशत ग्रामीणों को लॉकडाउन के दौरान मनरेगा में काम मिल सका। वहीं गुजरात में यह आंकड़ा केवल 2 फीसदी का रहा।
बता दें राज्य सरकार ने सबसे पहले लॉकडाउन के दौरान अन्य राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों के लिए ट्रेनें भेजीं और मजदूरों को वापस बुलवाया। इस दौरान छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार प्रवासी मजदूरों को दिया सबसे ज्यादा काम दिया और उनका सहारा बनी। लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद कई राज्यों के मजदूरों ने शहरों से गांव की तरफ पलायन किया। जिसके बाद राज्यों के ओर से मनरेगा के तहत इन मजदूरों को काम देने की घोषणा की गई।
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