डीजे के शोर पर चीफ जस्टिस ने लिया स्वत: संज्ञान : जनहित याचिका के रूप में हुई सुनवाई, मुख्य सचिव को अंतिम नोटिस जारी

बिलासपुर। बिलासपुर शहर में डीजे के कानफोड़ू शोर से हो रही दिक्कतों पर चीफ जस्टिस ने खुद संज्ञान लिया है। विषय की गंभीरता को देखते हुए प्रकरण की जनहित याचिका के रूप में सुनवाई की गई। कोर्ट ने इस विषय पर दिए गए सुप्रीम कोर्ट और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के पहले के आदेशों का उल्लेख करते हुए इनके पालन के संबन्ध में मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर रिपोर्ट देने का अंतरिम आदेश पारित किया है।
सुनवाई के दौरान युगल पीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव को यह बताने को कहा है कि, उत्सवों के अवसर के दौरान डीजे से उत्पन्न ध्वनि प्रदूषण के खतरे को खत्म करने के लिए क्या प्रयास किए गए ? कोर्ट ने इस संबंध में एक विस्तृत शपथपत्र प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। चीफ जस्टिस ने माना है कि, बिलासपुर शहर में ध्वनि प्रदूषण की वर्तमान स्थिति बदहाल है, जो विभिन्न समाचारों से भी स्पष्ट है। यह जिम्मेदार राज्य अधिकारियों के अपमानजनक कृत्य के अलावा और कुछ नहीं है। वे ध्वनि प्रदूषण के खतरे को रोकने में कोई भी प्रयास करने में विफल रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय के साथ-साथ इस न्यायालय के विभिन्न आदेश और निर्देश पारित करने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।
निर्देशों का पालन न होने से ध्वनि प्रदूषण संबंधी बीमारियां बढ़ने का है खतरा
एक जनहित याचिका पर 6 दिसम्बर 2016 को हाईकोर्ट ने आदेशित किया था कि, कलेक्टर और एसपी यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी वाहन पर साउंड बॉक्स रख कर डीजे न बजे। गाड़ियों पर साउंडबॉक्स रखकर डीजे बजाने पर साउंड बॉक्स जब्त करने के निर्देश हैं। साउंड बॉक्स मिलने पर वाहन का रिकॉर्ड रखा जाए। दूसरी बार उसी गाड़ी पर साउंड बॉक्स बजाए जाने पर उस वाहन का परमिट निरस्त किया जाए और बिना हाईकोर्ट के आदेश के कोई नया परमिट जारी नहीं किया जाए। लेकिन कोर्ट के आदेश का आज तक पालन नहीं हो पाया और शहर में कई अवसरों पर तेज आवाज में डीजे बजाया जा रहा है। इससे लोगों को भारी दिक्कत होने के साथ ही ध्वनि प्रदूषण संबंधी बीमारियां होने का खतरा बढ़ रहा है।
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