हसदेव नदी में डूबा बच्चा : ट्यूब पर बैठकर नहा रहा था, बच्चे को बचाने पिता ने लगाई छलांग, लेकिन नहीं बचा सका

हसदेव नदी में डूबा बच्चा : ट्यूब पर बैठकर नहा रहा था, बच्चे को बचाने पिता ने लगाई छलांग, लेकिन नहीं बचा सका
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संजय नगर चांपा का रहने वाला अनिल देवांगन अपनी पत्नी, बेटी और बेटे ऋतुराज देवांगन के साथ बाइक से कुदरी गांव के हसदेव नदी में बने बैराज गए थे। पढ़िए पूरी खबर....

जांजगीर-चांपा।छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के हादसा चांपा थाना क्षेत्र के कुदरी गांव में 12 साल के बच्चे की मौत हसदेव नदी में बने बैराज में डूबने से हो गई है। वह अपने माता-पिता के सामने ही नदी में डूब गया। बच्चा 7वीं कक्षा में पढ़ते था।

बताया गया है कि, संजय नगर चांपा का रहने वाला अनिल देवांगन अपनी पत्नी, बेटी और बेटे ऋतुराज देवांगन के साथ शुक्रवार सुबह बाइक पर सवार होकर नहाने के लिए कुदरी गांव के हसदेव नदी में बने बैराज गए थे। अनिल का बेटा ऋतुराज देवांगन एक ट्यूब में बैठकर नहा रहा था। वहीं पास में ही माता-पिता और छोटी बहन भी नहा रही थी।

ऋतुराज का ट्यूब नहाने के दौरान पलट गया और वो पानी में डूब गया। बेटे को डूबता देख पिता अनिल देवांगन उसे बचाने के लिए गया, तब तक बच्चा गहरे पानी में चला गया था। पिता ने उसे खोजने की कोशिश की, लेकिन वो नहीं मिला। पिता ने पास में ही नहा रहे युवक को बुलाया और उसके साथ बच्चे को खोजने लगे। आधे घंटे के बाद बच्चा मिला, जिसे तुरंत इलाज के लिए लेकर परिजन बीडीएम अस्पताल चांपा पहुंचे, जहां जांच के बाद डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

बड़ी संख्या में पिकनिक मनाने यहां पहुंचते हैं लोग

चांपा थाने में पदस्थ हेड कॉन्स्टेबल प्रकाश राठौर ने बताया कि सूचना मिलने पर वे अस्पताल पहुंचे। मृत बच्चे के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवाया गया है। उन्होंने बताया कि गर्मी के मौसम में कुदरी बैराज में नहाने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ती है। लोग यहां पिकनिक मनाने के लिए सैकड़ों की संख्या में पहुंचते हैं। लोगों को गहरे पानी में नहीं नहाने की सलाह दी जाती है, बावजूद लोग अनदेखी करते हैं।

सचेत बोर्ड होता तो बच जाती बच्चे की जान

मृतक के पिता अनिल देवांगन ने बताया कि वे कोसे से कपड़ा बनाने का काम करते हैं। ऋतुराज उनका बड़ा बेटा था और बेटी छोटी है, जिसकी उम्र 6 साल है। इस साल बेटा सातवीं कक्षा में गया था। मृतक के पिता ने कहा कि बैराज के पास कहीं पर भी चेतावनी वाला बोर्ड नहीं लगाया गया है, जिसके कारण वे सचेत नहीं रह सके। अगर यहां सांकेतिक चिन्ह या बोर्ड लगा होता, तो उनके बच्चे की जान बच जाती।

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