बोनफिक्स, सुलोशन, नाइट्रोटेन टेबलेट सहित कई तरह के नशे के आदी हो रहे बच्चे

रायपुर। नाबालिगों में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए साथ प्रदेश को नशा मुक्त करने के लिए एक ओर जहां छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा नशामुक्ति अभियान चलाने के साथ हुक्का-बार जैसे नशे के कारोबार पर प्रतिबंध लगाया गया है, वहीं दूसरी ओर नशे के आदी हो चुके बच्चों को नशे की लत छुड़ाने के लिए राजधानी रायपुर में एक भी शासकीय नशामुक्ति केंद्र नहीं है, जिसके कारण नशे के आदी हो चुके बच्चों का भविष्य अंधकार में है। नशे की लत पूरी करने की वजह से कई बच्चे अब आपराधिक घटनाओं को भी अंजाम देने लगे हैं।
हरिभूमि ने गुरुवार को नशे के आदी हो चुके बच्चों को सुधारने के लिए नशामुक्ति केंद्रों की जानकारी ली तो पता चला कि राजधानी में सिर्फ एक शासकीय नशामुक्ति केंद्र है, वो भी वयस्क पुरुषों के लिए है, जबकि बच्चों के लिए एक भी नशामुक्ति केंद्र नहीं है, जबकि शहर में इन दिनों वयस्कों के अलावा नाबालिगों में भी नशे की प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है। नशे के लत के कारण बच्चे अब चोरी, लूट, उठाईगिरी, मारपीट एवं हत्या जैसी वारदातों को भी अंजाम देने लगे हैं।
एक वर्ष में ही बंद हो गया बच्चों का नशामुक्ति केंद्र
रायपुर शहर में नशे के आदी नाबालिग बच्चों की लत छुड़ाने के लिए दोंदेकला इलाके में महिला एवं बाल विकास विभाग अंतर्गत अगस्त 2018 में बालगृह नशामुक्ति केंद्र खोला गया था। इस नशामुक्ति केंद्र के अध्यक्ष मनोचिकित्सक डाॅ. मिथुन दत्ता थे। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि 50 बिस्तर वाला यह नशामुक्ति केंद्र करीब एक साल तक संचालित रहा। इस दौरान करीब ढाई सौ बच्चे भर्ती हुए थे। इन बच्चों को बोनफिक्स, सुलोशन, नाइट्रोटेन टेबलेट, गांजा व तंबाकू आदी नशीले पदार्थ सूंघने व पीने की लत थी। इनमें करीब 215 बच्चे ठीक होकर घर भी लौट चुके हैं, वहीं करीब 35 बच्चों को नशामुक्ति केंद्र के बंद हो जाने के कारण लत छुड़ाए बिना उन्हें वापस उनके घर भेज दिया गया।
वयस्क नशामुक्ति केंद्र में हर महीने पहुंचते हैं बच्चों के परिजन
शंकर नगर स्थित संकल्प एकीकृत नशामुक्ति सह पुनर्वास केंद्र वयस्कों के लिए है। केंद्र सरकार द्वारा अनुदान प्राप्त नशामुक्ति केंद्र 15 बिस्तरों का है, जिसमें 18 वर्ष एवं उससे अधिक उम्र के लोगों को भर्ती किया जाता है। नशामुक्ति केंद्र के सीनियर काउंसलर डाॅ. अजय श्रीवास्तव ने बताया कि यहां सिर्फ वयस्कों का ही इलाज किया जाता है, लेकिन हर महीने औसतन 15 से 20 लोग ऐसे भी यहां पहुंचते हैं, जो अपने बच्चों का नशा छुड़ाना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि रायपुर में बच्चों का एक भी नशामुक्ति केंद्र नहीं होने के कारण शहर के बच्चों में नशे की लत लगातार बढ़ती जा रही है। एक बच्चे के कारण दूसरा बच्चा भी इस नशे की लत का शिकार हो रहा है। इसे रोकने के लिए शहर में नशामुक्ति केंद्र खोला जाना बहुत आवश्यक है।
अगस्त 2018 में नशामुक्ति केंद्र खोला गया था, जो दिसंबर 2019 को बंद हो गया। इसके बाद से जिले में बच्चों का एक भी नशामुक्ति केंद्र नहीं खुला है। जिले में बच्चों में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति को रोकने एवं बच्चों का भविष्य का ख्याल रखते हुए करीब 6 महीने पहले नया नशामुक्ति केंद्र खोलने शासन को प्रस्ताव भेजा गया है, जिसे अब तक स्वीकृति नहीं मिल पाई है।
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