सीएम ने दलाई लामा को दिया निमंत्रण : दलाई लामा के लिए भेजा राज्यकीय गमछा...वर्ल्ड बुद्धिस्ट मीटिंग में आ सकते हैं छत्तीसगढ़

सीएम ने दलाई लामा को दिया निमंत्रण : दलाई लामा के लिए भेजा राज्यकीय गमछा...वर्ल्ड बुद्धिस्ट मीटिंग में आ सकते हैं छत्तीसगढ़
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बौद्ध धर्म गुरू दलाई लामा को छत्तीसगढ़ आने का न्यौता दिया है। बता दें, सिरपुर के विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष ने धर्मशाला पहुंचकर दलाई लामा से मुलाकात की और उन्हें सीएम बघेल की तरफ से आया निमंत्रण की जानकारी दी।...पढ़े पूरी खबर

रायपुर- सीएम भूपेश बघेल आज पाटन में आयोजित कार्यक्रमों में शामिल हुए। तय कार्यक्रम के हिसाब से 11.10 बजे से शहीद स्मारक भवन रायपुर में आर्य समाज के प्रांतीय महासम्मेलन और ज्ञान ज्योति पर्व कार्यक्रम में शामिल हुए थे। वहीं दोपहर 12.10 बजे से छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू संघ द्वारा टिकरापारा स्थित भामाशाह साहू छात्रावास परिसर में नवनिर्मित अर्जुन सदन के लोकार्पण कार्यक्रम में शामिल हुए। इसके बाद दोपहर 3.10 बजे पुलिस परेड ग्राउण्ड राजधानी रायपुर से हेलीकॉप्टर से पाटन पहंचे और वहां छत्तीसगढ़ झेरिया यादव समाज के सामाजिक सम्मेलन में शामिल हुए। मुख्यमंत्री बघेल पाटन से निकलकर 4.50 बजे रायपुर लौट आए।

विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष निमंत्रण देने पहुंचे...

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बौद्ध धर्म गुरू दलाई लामा को छत्तीसगढ़ आने का न्यौता दिया है। बता दें, सिरपुर के विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष सतीश जग्गी ने धर्मशाला पहुंचकर दलाई लामा से मुलाकात की और उन्हें सीएम बघेल की तरफ से आया निमंत्रण की जानकारी दी। इस दौरान दलाई लामा को छत्तीसगढ़ राज्य के राज्यकीय गमछा और स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।

अध्यक्ष जग्गी ने सीएम भूपेश को क्या बताया...

धर्मशाला में दलाई लामा से भेंट के दौरान सिरपुर विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष जग्गी ने सीएम भूपेश को बताया कि, बौद्ध विरासत सिरपुर को विकसित करने के साथ वर्ल्ड हेरिटेज के रूप में स्थापित किया जा सकता है। वहीं जग्गी ने दलाई लामा को बताया कि, मुख्यमंत्री ने उन्हें गुरूग्राम सिरपुर में 6 से 9 सितंबर 2023 को आयोजित होने वाले वर्ल्ड बुद्धिस्ट मीटिंग में बुलाया है।

सिरपुर आकर्षण का केंद्र हैं...

बता दें कि, अंतराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर सिरपुर ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्ता के कारण आकर्षण का केंद्र हैं। यह पांचवी से आठवीं शताब्दी के बीच दक्षिण कोसल की राजधानी थी। यह स्थल पवित्र महानदी के किनारे पर बसा हुआ हैं।

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