भाजपा पर भड़के सीएम : बोले- MSP पर किसानों से छलावा...कमीशन पर क्या कहा...पढ़िए

भाजपा पर भड़के सीएम : बोले- MSP पर किसानों से छलावा...कमीशन पर क्या कहा...पढ़िए
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हल्बा-हल्बी आदिवासी समाज ने 83वां स्थापना दिवस का आयोयन के लिए सीएम बघेल दल्ली राजहरा पहुंचे थे। इस दौरान केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह पर तंज कसते हुए कहा कि...पढ़िए पूरी खबर

दीपक मित्तल/बालोद- हल्बा-हल्बी आदिवासी समाज ने 83वां स्थापना दिवस का आयोयन के लिए सीएम बघेल दल्ली राजहरा पहुंचे थे। इस दौरान केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह पर तंज कसते हुए कहा कि, कमीशन खोरी का इल्जाम आप मेरे ऊपर लगाते हैं। हमारी सरकार में सब चीज पारदर्शिता के साथ होती है। सीधे हितग्राहियों के खाते में पैसा जाता है। हमने किसी भी तरह की कमीशन खोरी नहीं की है। वैसे भी कमीशन लेने का काम तो भाजपा करती आई है। लगता है वे हमारी नहीं अपनी बात कर रहे है। आपको तो पता होगा कि, किस तरह से कभी साइकिल वितरण और कभी मोबाइल वितरण का कार्य चल रहा था।

केंद्र से मिलने वाले पैसों से करप्शन किया जाता है- गिरिराज

दरअसल केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा था कि, केंद्र से मिलने वाला पैसों से कमीशन खोरी की जाती है। इसी का जबाव देते हुए सीएम ने कहा कि, आपकी सरकार में साइकिल और मोबाइल बांटे जाते थे। हमारी सरकार में हितग्राहियों के खाते में पैसे डाले जाते हैं।

काका को खा-खा कहने पर राजनीतिक घमासान...

दरअसल, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह बस्तर दौरे पर थे। उस वक्त उन्होंने सीएम बघेल को काका की जगह खा-खा कह दिया था। इसी पर पलटवार करते हुए सीएम बघेल ने कहा कि, साहित्यकार कवि और पूरी छत्तीसगढ़ की जनता मुझसे प्रेम करती है। इसलिए काका बुलाती है, केंद्रीय मंत्री जी ने यह जो काका को खा-खा कहा है। यह बेहद गलत बात है, क्योंकि उन्होंने ऐसा कहकर जनता का अपमान किया है। हर बच्चें यहां पर काका कहते हैं। अब तो बड़े बुजुर्ग भी काका कहने लगे हैं, ये छत्तीसगढ़ वासियों का प्रेम है।

एमएसपी पर छलावा क्यों...

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि, एमएसपी केवल एक छलावा है। भाजपा के समय में एमएसपी में बढ़ोतरी देखने को मिली थी। उस वक्त 130 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, अभी तो केंद्र सरकार ने 61 प्रतिशत वृद्धि की है। आधे से कम वृद्धि की गई है, केन्द्र की सरकार ने किसानों से एमएसपी दुगुनी करने की बात कही थी। लेकिन अब तो कृषि की लागत दोगुनी हो गई है। इसके अलावा कोदो कुटकी का उत्पादन भी भारी मात्रा में होता है। उसका समर्थन मूल्य घोषित नहीं किया गया है, सिर्फ रागी बस का किया गया है।

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