पानी में धुला कोयला उत्पादन : विद्युत कंपनियों में कोयले का संकट, कई जगह उत्पादन भी प्रभावित

कोरबा। बरसात का सीजन लंबा खिंचने की वजह से देश में कोयले का संकट उत्पन्न हो गया है। हालात इतने खराब हैं कि पिछले कुछ हफ्तों से विद्युत कंपनियों तक को कोयले की सप्लाई नहीं हो पा रही है। जिसके चलते बिजली का उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है। विदेशी कोयला काफी महंगा है, इसवजह से कोई बाहर से कोयला मंगा नहीं रहा है। कोरबा और इसके आसपास मौजूद एसईसीएल की खदानों में कोयले का उत्पादन काफी घट गया है। इस बात से चिंतित कोल इंडिया के अफसर लगातार कोयला खदानों में उत्पादन बढ़ाने में अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं। अधिकारियों के मुताबिक लगातार ज्यादा बारिश होने की वजह से उत्पादन में कमी आई है। कोल इंडिया के डायरेक्टर टेक्निकल विनय दयाल ने कोरबा में एसईसीएल की खदानों का दौरा किया। उन्होंने कहा है कि पिछले दो माह से कोल इंडिया व मंत्रालय स्तर के अधिकारी साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड की गेवरा, दीपका व कुसमुंडा खदानों का लगातार दौरा कर रहे हैं। कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल भी खदानों का जायजा ले चुके हैं। उन्होंने बताया कि इस बार पूर्वी क्षेत्र में बारिश ज्यादा हुई, इससे ओपनकास्ट खदानों में उत्पादन प्रभावित हुआ। वहीं दक्षिणी क्षेत्र में गर्मी बढ़ने से बिजली की डिमांड बढ़ गई थी।
जल्द डिस्पेच होगा कोयला: दयाल
कोरबा के गेवरा, दीपका और कुसमुंडा तीनो ओपन कास्ट खदानों में 96 लाख टन कोयला स्टाक हैं बावजूद इसके छोटे उद्योगों को कोयला नहीं दिए जाने के सवाल पर कोल इंडिया के डायरेक्टर विनय दयाल ने कहा कि इतना स्टाक तो नही हैं, पर जो भी हैं उसके भी डिस्पैच की तैयारी चल रही। जरूरत और प्राथमिकता के आधार पर कोयला की आपूर्ति की जा रही है। डिस्पैच की निगरानी के लिए आधुनिक उपकरण भी जल्द लगाया जाएगा।
स्थनीय संयंत्र नियमित सप्लाई पर निर्भर
हालांकि स्थानीय विद्युत उत्पादन कंपनियों बाल्को, एनटीपीसी समेत अन्य उपक्रमों को तो कोयला मिल जा रहा, पर खपत अधिक होने के कारण संयंत्र में कोयला स्टॉक कर रख पाना मुश्किल हो गया हैं। वही कैप्टिव और लघु उद्योगों के समक्ष पिछले दो माह से कोयला संकट बना हुआ है। इससे विद्युत संयंत्र प्रबंधन चिंतित है कि किसी दिन आपूर्ति बाधित होती है तो संयंत्र की इकाइयों को बंद करना पड़ सकता हैं। ये पहला मौका है जब कोरबा में एसईसीएल की खदानों में कोयले की कमी हुई है। अब देखना होगा कि ये समस्या कब तक हल हो पाती है।
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