नहीं रहे कांग्रेस नेता दौलत रोहड़ा : झीरम कांड में न्याय का इंतजार करते टूटी सांसें, विद्याचरण शुक्ल के थे करीबी

नहीं रहे कांग्रेस नेता दौलत रोहड़ा : झीरम कांड में न्याय का इंतजार करते टूटी सांसें, विद्याचरण शुक्ल के थे करीबी
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कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा में माओवादियों का हमला हुआ था। जिसमें माओवादियों के हाथों छत्तीसगढ़ कांग्रेस के शीर्ष स्तर के कई नेता मारे गए थे। ये एक ऐसी हिंसा थी जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था,फिर भी जांच अब तक अधूरी है। पढ़िए पूरी खबर...

रायपुर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता फाफाडीह निवासी दौलत रोहड़ा का आकस्मिक निधन हो गया। वह झीरम घाटी कांड के चश्मदीद गवाह थे। लंबी बीमारी के बाद बीती रात उन्होंने अंतिम सांस ली, आखिरी समय तक रोहड़ा झीरम घाटी कांड में न्याय मिलने का इंतजार करते रहे। सांसे टूट गई लेकिन न्याय नहीं मिला। दौलत रोहड़ा ऐसे कांग्रेस नेता थे जो पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल के अंतिम समय में उनके सबसे करीबी रहे।

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कांग्रेस नेताओं के खून से लाल हुई घाटी और इस घटना के पीड़ित अब भी न्याय का इंतजार करते रहे हैं लेकिन जांच की रफ्तार ऐसी रही की चश्मदीदों के बयान तक NIA ने नहीं लिये गए और जांच बंद कर दी गयी।दौलत रोहड़ा उन्ही में से एक थे,जिन्हें इस बात का मलाल हमेशा रहा की पूरी घटना उनके आंखों के सामने होने के बावजूद NIA ने उनका बयान तक दर्ज नहीं किया।

झीरम घाटी कांड मामले का अब तक नहीं हुआ खुलासा

उल्लेखनीय है कि, 25 मई 2013 को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा में माओवादियों का हमला हुआ था। जिसमें माओवादियों के हाथों छत्तीसगढ़ कांग्रेस के शीर्ष स्तर के कई नेता मारे गए थे। ये एक ऐसी हिंसा थी जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था,फिर भी जांच अब तक अधूरी है। झीरम हमले में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल और बस्तर टाइगर कहे जाने वाले महेन्द्र कर्मा की मौत हुई थी। इसके अलावा योगेंद्र शर्मा, उदय मुदलियार और प्रफुल्ल शुक्ला जैसे कांग्रेस नेताओं ने भी इस नरसंहार में अपनी जान गंवायी थी। इस घटना को सुपारी किलिंग से जोड़कर देखा जा रहा था। लेकिन पीड़ितों को न्याय नहीं मिल सका इस मामले की जांच NIA कर रही थी जो अब बंद हो चुकी है।


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