कांग्रेस का अनूठा विरोध : संसद भवन के उद्घाटन में राष्टपति को नहीं बुलाने के विरोध में जल सत्याग्रह

कांग्रेस का अनूठा विरोध : संसद भवन के उद्घाटन में राष्टपति को नहीं बुलाने के विरोध में जल सत्याग्रह
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नए संसद भवन के उद्घाटन को राष्ट्रपति से नहीं करवाने की वजह से विपक्ष नेताओं ने कहा कि, यह राष्ट्रपति का अपमान हैं। साथ ही जल सत्याग्रह भी किया...पढ़े पूरी खबर

रायपुर- पीएम मोदी ने आज नए संसद भवन का उद्घाटन किया और सेंगोल को लोकसभा कक्ष में स्थापित कर दिया है। इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला ने उनका स्वागत किया था। इस खास मौके पर पीएम पारंपरिक पोशाक में नजर आए। जब से यह बात उठी है कि, पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे, तब से विपक्ष लगातार विरोध करता हुआ दिखाई दे रहा है। एक तरफ नए संसद भवन का उद्घाटन किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने राजधानी रायपुर के मरीन ड्राइव में सत्याग्रह शुरु कर दिया है।

जल सत्याग्रह पर उतरे कांग्रेसी

नए संसद भवन के उद्घाटन को राष्ट्रपति से नहीं करवाने की वजह से विपक्ष नेताओं ने कहा कि, यह राष्ट्रपति का अपमान हैं। इसी मसले को लेकर आज नेता विनोद तिवारी के नेतृत्व में कांग्रेसी तेलीबांधा तालाब में विरोध प्रदर्शन करते हुए नजर आ रहे हैं। इस सभी ने आज सुबह 11 बजे तेलीबांधा तालाब में जल सत्याग्रह किया। इस दौरान कई युवा घंटों तक पानी में खड़े रहे और नारे लगाते हुए दिखाई दिए।

वोट का लाभ लेने के लिए किया उद्घाटन- तिवारी

कांग्रेस नेता विनोद तिवारी ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि, चुनाव जीतने ओर वोट का लाभ उठाने के लिए खुद उद्घाटन किया है। नए संसद भवक की नींव रखते वक्त भी राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को नहीं बुलाया गया था और अब नए संसद भवन के उद्घाटन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी को आमंत्रित नहीं किया गया। यह बहुत शर्मनाक है, संसद भवन तो लोकतंत्र का मंदिर माना जाता है। तो क्या इस भवन का उद्घाटन महामहिम के हाथों नहीं करवाना चाहिए। जब पूरे देश मे इस बात की मांग उठ रही है कि, नए सांसद भवन का उद्धघाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों होना चाहिए, फिर ऐसा क्यों नहीं किया जा रहा।

भारत संघ की कार्यकारी शक्ति राष्ट्रपति के पास है...फिर पीएम उद्घाटन क्यों करें

कांग्रेस नेता विनोद तिवारी ने भाजपा पर वार करते हुए कहा कि, संविधान के तहत, भारत संघ की कार्यकारी शक्ति राष्ट्रपति के पास है। अनुच्छेद 53 से यह स्पष्ट हो जाता है कि, यह अधिकार भारत के राष्ट्रपति के अधीन है। जिसमें पीएम भी शामिल है। अनुच्छेद 299 के आधार पर जिस पर भारत सरकार हस्ताक्षर करता है, वो राष्ट्रपति के नाम पर होना चाहिए। इसलिए नए संसद भवन के निर्माण का हर काम राष्ट्रपति के हाथों होना चाहिए।

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