6 करोड़ का था लक्ष्य, नहीं मिले दानदाता, दो साल का प्रोजेक्ट अब चरणों में विभाजित

6 करोड़ का था लक्ष्य, नहीं मिले दानदाता, दो साल का प्रोजेक्ट अब चरणों में विभाजित
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रायपुर: पं. रविशंकर शुक्ल विवि परिसर स्थित बंजारी माता मंदिर का निर्माण कार्य फंड की कमी से सुस्त पड़ गया है। 2023 तक इसका निर्माण कार्य पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया था।

रायपुर: पं. रविशंकर शुक्ल विवि परिसर स्थित बंजारी माता मंदिर का निर्माण कार्य फंड की कमी से सुस्त पड़ गया है। 2023 तक इसका निर्माण कार्य पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए तय समयसीमा में मंदिर के तैयार होने की संभावना कम ही है। बंजारी माता मंदिर के नव-निर्माण के लिए 6 करोड़ का बजट तय किया गया था। इसके लिए रविवि द्वारा पृथक फंड की व्यवस्था नहीं की गई। इसके स्थान पर दान के जरिए यह राशि एकत्र करने का फैसला लिया गया।

दान के लिए बैंक अकाउंट भी बनाया गया है, लेकिन अब तक पर्याप्त राशि रविवि को नहीं मिल सकी। जो राशि रविवि को मिली है, उससे निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है, परंतु अब फंड की कमी के चलते इसमें तेजी नहीं आ पा रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, अब तक एक करोड़ के लगभग ही राशि दान के जरिए प्राप्त हो सकी है। प्राचीन मंदिर होने के कारण लोगों की इस मंदिर में गहरी आस्था है। विवि परिसर में होने के कारण मंदिर प्रबंधन रविवि के अधीन है। पंडितों की नियुक्ति से लेकर मंदिर के संदर्भ में अन्य फैसले भी रविवि ही करता रहा है।

दक्षिण शैली पर हाेगा निर्माण

मंदिर का ड्राइंग-डिजाइन 2021 में ही तैयार कर लिया गया था। मंदिर का निर्माण दक्षिण भारतीय शैली से किया जाना है। मंदिर के प्रवेश द्वार को मुख्य मार्ग से जोड़ा जाएगा। इसके अलावा मंदिर के नए मंडप में एक साथ 100 श्रद्धालु पूजा कर सकेंगे। शुुरआत में कुछ बड़े दानदाता सामने आए, लेकिन अब किसी तरह का सहयोग रविवि काे नहीं मिल रहा है। परिस्थितियों को देखते हुए अब चरणों में मंदिर बनाने की योजना है। अर्थात दान से प्राप्त होने वाली राशि के आधार पर विभिन्न चरणों में मंदिर के निर्माण कार्य को बांटा जाएगा। 2021 में जब रविवि ने मंदिर पुनर्निमाण का फैसला किया था, तब 2 वर्षीय प्रोजेक्ट के रूप में इसकी योजना बनाई गई थी।

पहले गर्भगृह का निर्माण

मंदिर निर्माण रूका नहीं है। चरणों में इसका निर्माण करेंगे। पहले गर्भगृह को तैयार किया जाएगा, क्योंकि मुख्य पूजा यहीं होती है।

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