ओल्ड पेंशन पर नोक-झोंक : केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार में तकरार, राज्य की मांग पर केंद्र का इनकार...पहले ही घोषणा कर चुकी है राज्य सरकार

गौरव शर्मा- रायपुर। छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार ने पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने का ऐलान किया है, इसके लिए केंद्र सरकार से छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों के एनपीएस के पैसे को वापस भी मांगा है, लेकिन केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने पैसे लौटाने से इनकार कर दिया है। इसे लेकर अब भाजपा और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है।
देशभर में गरमाया पुरानी पेंशन योजना का मुद्दा
पुरानी पेंशन योजना का मुद्दा देशभर में चर्चा में है। गैर भाजपाई राज्यों में खास तौर पर यह मुद्दा उछल रहा है। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में तो कांग्रेस की सरकारों ने एनपीएस फिर से लागू करने का ऐलान ही कर दिया है। झारखंड में भी सोरेन सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने की घोषणा की है, लेकिन इसे लागू करने में सबसे बड़ी अड़चन राष्ट्रीय पेंशन स्कीम के अंतर्गत जमा राशि है, जिसे लौटाने से अब केंद्र सरकार इनकार कर रही है। छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों का लगभग 17000 करोड़ राष्ट्रीय पेंशन स्कीम के अंतर्गत जमा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार से इसे वापस करने की मांग की है।
केंद्र सरकार लंबे समय तक पैसा नहीं रख सकती : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है केंद्र सरकार लंबे समय तक पैसा नहीं रख सकती। राज्य सरकार ने इस बारे में कानूनी राय मांगी है। अदालत जाने के विकल्पों पर भी राज्य सरकार विचार कर रही है। दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि इन पैसों पर राज्य सरकार का हक नहीं है। राष्ट्रीय पेंशन योजना में जमा पैसा योगदान करने वाले व्यक्तियों का है। कानून के तहत राज्य सरकारें इसे नहीं ले सकती, क्योंकि इस पर राज्य सरकारों का हक नहीं है। इस मामले में छत्तीसगढ़ में भी सियासत गरमाने लगी है। कृषि मंत्री रविंद्र चौबे केंद्र से एक बार फिर इस राशि को लौटाने की मांग करते नजर आते हैं। वहीं सांसद सुनील सोनी कहते हैं कि केंद्र सरकार ने यह निर्णय प्रक्रिया के तहत लिया है, कांग्रेस द्वारा जिस तरह भेदभाव के आरोप लगाए जा रहा हैं, वह पूरी तरह गलत और आपत्तिजनक है।
17000 करोड़ रुपए जमा है
पुरानी पेंशन योजना लागू करने में सबसे बड़ी अड़चन केंद्र सरकार से 17000 करोड़ की राशि वापस मिलना है, जिसे देने से केंद्र सरकार ने साफ तौर पर इनकार कर दिया है। ऐसे में एक तरफ जहां एनपीएस को लेकर देशभर में राजनीति गरमा रही है, वहीं कर्मचारियों के माथे पर चिंता की लकीरें भी साफ नजर आ रही है कि, उन्हें सियासी नफा नुकसान से इतर अपने हितों के प्रभावित होने की चिंता सता रही है।
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