अपनों को खोने वाले कई परिवार आए सामने, एम्स से मांगी मरने वालों की आखिरी निशानी

कोरोना की चपेट में आकर इलाज के दौरान जान गंवाने वाले आठ परिवार के लोगों ने एम्स से संपर्क कर रिश्तेदारों की अंतिम निशानी मांगी है। इसके लिए गठित टीम अपनी प्रक्रिया पूरी करने के साथ अन्य लोगों से एक बार और संपर्क करने की कोशिश कर रहा है। सफलता नहीं मिलने पर बाकी का सामान जिला प्रशासन को सौंप दिया जाएगा।
कोेरोना से जान गंवाने वालों द्वारा अंतिम समय में छोड़े गए कीमती सामान तथा अन्य जरूरी वस्तुओं को उनके परिजनों को वापस करने के लिए एम्स द्वारा अनूठी पहल की गई है और अब तक देश के किसी भी अस्पताल में इस तरह की कोशिश नहीं की गई है। लगभग साढ़े तीन सौ लोगों के मरने के बाद मिले सामान को उनके वारिसों तक पहुंचाने के लिए कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी की कोशिश के बाद आठ लोगों ने संपर्क कर मिले सामान को उन्हें सौंपने की मांग की है।
कमेटी इसके लिए आवश्यक कार्रवाई पूरी कर रही है और अन्य लोगों से एक बार फिर संपर्क करने का प्रयास कर रही है ताकी वे भी आकर सामान ले जाएं। एम्स में इलाज के दौरान जान गंवाने वाले लोगों के जो बैग मिले थे उसमें कई तरह के कीमती और दिलचस्प सामान रुपए पैसे थे। बैग में मिले खाद्य पदार्थों को तो नष्ट कर दिया गया और कीमती वस्तुओं को समेटकर रखा गया है जिसे उनके रिश्तेदारों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। अंतिम कोशिश के बाद अगर इनके वारिस सामने नहीं आते तो मोबाइल, जेवर जैसे सामान को जिला प्रशासन को सौंप दिया जाएगा।
गरीबों की मदद का प्रस्ताव
कोरोना से जान गंवाने वालों के कुछ लोगों के बैग में काफी रुपए थे जो संभवत: उन्होंने इलाज के दौरान जरूरी खर्च के लिए अपना पास रखा होगा। जांच में मिली रकम लगभग तीस हजार के आसपास है। सूत्रों के मुताबिक इस राशि का उपयोग एम्स में इलाज के लिए आने वाले निर्धन वर्ग के मदद के लिए बनाई गई निधि में करने प्रस्ताव है, जिसमें अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।
कई अस्पतालों में पता नहीं
राजधानी में ही कोरोना के इलाज के लिए डेडीकेटेड अस्पताल बनाए गए हैं, जहां इलाज के दौरान कई संक्रमितों ने दम तोड़ा था, जिनके पास मोबाइल और अन्य कीमती सामान थे। अपनों को खोने के गम में दुखी परिजनों ने उनके सामान के बारे में पूछताछ नहीं की और ना अस्पतालों द्वारा सामान वापस करने के लिए किसी तरह की पहल की गई है।
संपर्क करने का प्रयास
मिले नाम-पता के आधार पर संबंधित लोगों से संपर्क किया गया, तो कुछ लोग सामने आए हैं। एक और कोशिस की जाएगी, नहीं तो सामान जिला प्रशासन को सौंप दिया जाएगा।
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