बदलते मौसम के साथ बढ़ी कफ-कोल्ड की शिकायतें, बिना एंटीबायोटिक नहीं उतर रहा बुखार

कभी बारिश तो कभी धूप और उमस वाली चिपचिपी गर्मी से अब लोगों को स्वास्थ्य बिगाड़ने लगा है। इससे कफ-कोल्ड की शिकायत बढ़ रही है और अन्य दवा के साथ एंटीबायोटिक की जरूरत भी पड़ने लगी है। बुखार-खांसी नहीं छोड़ने पर लोग कोरोना की आशंका पर जांच कराने भी पहुंच रहे हैं। इसकी वजह से अस्पतालों के साथ दवा दुकानों में भी भीड़ बढ़ गई है।
जुलाई माह के अंतिम सप्ताह तक जोरदार बारिश नहीं होने की वजह से अभी भी धूप तेज होने का अहसास हो रहा है। एक साथ तीन तरह के अनुभव की वजह से लोग बीमार पड़ने लगे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक वर्तमान में लोगों में बुखार, बदन दर्द, खांसी जैसी शिकायत बढ़ रही है और वह भी तीन-चार दिनों के पहले उतर नहीं रही है और पैरासिटामाल जैसी दवा का असर भी नहीं हो रहा है जिसकी वजह से डाॅक्टर मरीजों को एंटीबायोटिक लेने की सलाह दे रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक बारिश का मौसम शुरू होने के बाद से निजी क्लीनिकों के साथ सरकारी अस्पतालों में भी इसकी वजह से भीड़ बढ़ गई है। वहीं खांसी और बुखार की लंबी शिकायत होने के बाद लोग कोरोना के संदेह में जांच कराने पहुंचे रहे हैं और चिकित्सकों द्वारा उन्हें मौसमी बीमारी होने की जानकारी दी जा रही है। अन्य दवा के साथ एंटीबायोटिक दवा की पर्ची लिखने की वजह से दवा दुकानों में भी इसकी डिमांड बढ़ गई है।
कोरोना की दवा जाम, एंटीबायोटिक की मांग
कोरोना की दूसरी लहर समाप्त होने और वर्तमान में बेहद कम केस होने की वजह से इससे संबंधित दवाओं की मांग बेहद कम हो गई है। इसकी वजह से दवा दुकानों में स्टाक जाम हो गया है। जिला दवा विक्रेता संघ के सचिव लोकेश साहू के अनुसार दूसरी ओर कुछ समय से एंटीबायोटिक दवाओं की डिमांड बढ़ने लगी है।
अन्य दवा का उपयोग
हमर अस्पताल भाठागांव के प्रभारी डाॅ. किशोर सिन्हा के मुताबिक वर्तमान में मौसम बदलने की वजह से लोग बीमार हो रहे हैं। सामान्य बुखार होने पर लोग कई तरह की दवा का सेवन कर लेते हैं। बुखार ठीक नहीं होने पर जब वे अस्पताल पहुंचते है तो उन्हें एंटीबायोटिक दवा की आवश्यकता होती है।
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