ऑटो बूथ में गिनती की सवारियां, कोई सब्जी बेच रहा तो कोई खाली हाथ घर में काट रहा समय

यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे स्टेशन में बनाए गए ऑटो बूथ में लॉकडाउन के बाद से गिनती की सवारियां मिल रही हैं। यात्री नहीं मिलने से कई ऑटो चालक दूसरा काम करने को मजबूर हैं। इस कारण स्टेशन में ऑटो महीनेभर से खड़े हैं। बूथ के अध्यक्ष राजेश स्वामी का कहना हैं कि बूथ से जुड़े 300 ऑटो में केवल 40 से 50 ऑटो ही दिन में चल रहे हैं। यात्री नहीं होने से अधिकांश चालक घर पर ही मुफलिसी के दिन काट रहे हैं।
इन दिनों 30 प्रतिशत लोग ही ऑटो में जाने रसीद कटा रहे हैं। पिछले सप्ताहभर में 90 से 100 लोग ही ऑटो बूथ पहुंचे। उनका कहना है कि आरटीओ द्वारा किलोमीटर अनुसार निर्धारित दर यात्रियों से ली जा रही है। पिछले लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की आवाजाही से ऑटो चालकों को उतनी दिक्कत नहीं हुई लेकिन इस साल ऑटो चालकों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गई है और सामान्य खर्च के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं।
सब्जी बेचने को मजबूर
दिन में दर्जनभर ट्रेनें ही चल रही हैं। बाहर से आने वाले अधिकतर यात्री अपने साधन पहले से ही मंगा लेते हैं। बूथ के कर्मचारी नारायण दास का कहना है, लॉकडाउन लगने के बाद सप्ताहभर तक ऑटो के लिए यात्रियों की संख्या अच्छी थी। रोज 100 से अधिक सवारियां मिल जाती थीं लेकिन मई महीने से यात्री कम होने लगे। अब रात में सवारी नहीं मिल रही। दिन में 7-8 यात्री मुश्किल से मिलते हैं।
उनका कहना हैं कि 300 में 200 चालकों ने फिलहाल के लिए ऑटो चलाना छोड़ दिया है। घर चलाने के लिए कुछ ने सब्जी बेचने समेत अन्य काम शुरू किया है। यात्रियों से संख्या बढ़ने बाद ऑटो चालक काम पर लौटेंगे। स्टेशन में दिनभर 60 से अधिक ऑटो यात्रियों के लिए उपलब्ध रहते हैं। उनमें से कई चालकों को दिनभर में यात्री ही नहीं मिल रहे इसलिए रात के वक्त बूथ में सिर्फ दर्जनभर ऑटो ही रहते हैं।
नहीं मिली कोई शिकायत
यात्रियों की कमी से आरपीएफ में अधिक किराया लेने वाले ऑटो चालकों की शिकायत कम हुई है। आरपीएफ महिला उप निरीक्षक दामिनी भारदिया ने बताया, लॉकडाउन से पहले अप्रैल माह में यात्रियों से अधिक किराया लेने की शिकायत पर आरपीएफ द्वारा ऑटो चालकों को संकट के समय में यात्रियों से अधिक किराया नहीं लेने को कहा गया था। इस माह में कोई शिकायत नहीं मिली है। स्टेशन में जांच के दौरान शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाती है।
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