रेप पीड़िताओं को न्याय दिलाने में कोर्ट संवेदनशील, हर माह पांच से ज्यादा प्रकरणों का निपटारा

रायपुर। महिलाओं के हितों तथा अधिकारों की रक्षा करने में अन्य विभागों की अपेक्षा कोर्ट जिसे हम न्याय की मंदिर के नाम से जानते हैं, ज्यादा संवेदनशील है। न्याय पालिका महिलाओं की रक्षा करने में अन्य विभागों से दो कदम आगे है। यही वजह है की रेप पीड़िताओं के मामलों को कोर्ट ज्यादा गंभीरता से सुनने के साथ उन्हें तत्काल क्षतिपूर्ति देने का सकाम कर रहा है। रायपुर जिला न्यायालय ने पिछले तीन वर्षों में रेप पीड़िताओं को डेढ़ करोड़ रुपए से ज्यादा क्षतिपूर्ति राशि वितरित कर उनके जख्मों में मरहम लगाने का काम किया है जिला विधिक सहायता प्राधिकरण के सचिव प्रवीण कुमार मिश्रा के मुताबिक दुष्कर्म की शिकार महिला, नाबालिग तथा छोटी बच्चियों को त्वरित न्याय मिल पाए। इस बात को ध्यान में रखते हुए कोर्ट काफी गंभीर है।
यही वजह है की रेप मामलों में कोर्ट मामले का जल्द से जल्द निपटारा करने सुनवाई करता है। साथ ही कोर्ट पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए सवाल जवाब करता है। रेप मामलों में हर महीने औसतन पांच से ज्यादा प्रकरणों का निपटारा किया जाता है। रेप प्रकरणों का जल्द निपटारा होने की एक बड़ी वजह फास्ट ट्रैक कोर्ट है। नाबालिग मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक में रेप से संबंधित मामलों में जहां कोर्ट त्वरित सुनवाई करता है, वहीं नाबालिग तथा छोटी बच्चियों के साथ रेप के मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होती है। इसके कारण रेप मामलों की सुनवाई दो साल के भीतर पूरी कर आरोपियों को कोर्ट सजा सुनाने का काम करता है। फास्ट ट्रैक कोर्ट में नाबालिग छोटी बच्चियों के अलावा बालिग के साथ रेप के ऐसे प्रकरण, जिसमें आरोपी हैवनियत को पार कर जाता है, उनकी सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में की जाती है।
क्षतिपूर्ति दिलाने नोडल अफसर
जिला विधिक प्राधिकरण सचिव के मुताबिक रेप पीड़िताओं को तत्काल क्षतिपूर्ति राशि मिल पाए, इसके लिए रेपपीड़िता क्षतिपूर्ति अधिनियम वर्ष 2011 तथा वर्ष 2018 के तहत रायपुर एसएसपी तथा गरियाबंद एसपी द्वारा नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। नोडल अफसर मामले का निपटारा होने के बाद रेप पीड़िताओं को जल्द से जल्द न्याय मिल सके, इसके लिए आवश्यक कार्यवाही करते हैं।
राज्य विधिक प्राधिकरण से पैसा मिलता है
रेप पीड़िता के साथ रेप होने की पुष्टि होने तथा चालान कोर्ट में पेश होने के बाद पीड़िता को तत्काल सवा लाख रुपए की अंतरिम क्षतिपूर्ति राशि दी जाती है। इसके साथ मामले का निपटारा होने के बाद प्रकरण के आधार परसात लाख रुपए तक मुआवजा राशि दी जाती है, जिसमें अंतरिम क्षतिपूर्ति राशि को काटकर चेक के माध्यम से दिया जाता है। यह राशि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से दी जाती है तीन वर्षों में इतने प्रकरणों में क्षतिपूर्ति कोर्ट से जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक वर्ष 2020 में 60 प्रकरणों का निपटारा किया गया, जिनमें से रे पीड़िताओं को क्षतिपूर्ति के रूप में 51 लाख 30 हजार रुपए क्षतिपूर्ति के रूप में दिए गए। इसी तरह वर्ष 2021 में 63 प्रकरणों में 24 लाख 75 हजार तथा वर्ष 2022 में 67 प्रकरणों का निपटारा कर रेप पीड़िताओं को 75 लाख 45 हजार रुपए क्षतिपूर्ति राशि दी गई है।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS