भाकपा नेता मनीष कुंजाम बोले- यह समय मंथन करने का, माओवादी तय करें कौन सा रास्ता सही

भाकपा नेता मनीष कुंजाम बोले- यह समय मंथन करने का, माओवादी तय करें कौन सा रास्ता सही
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97 वें स्थापना दिवास पर आयोजित कार्यक्रम में पूर्व विधायक ने की अपील, बंदूक छोड़कर अहिंसा का मार्ग अपनाएं माओवादी। कार्यकर्ताओं को दी गई चुनावी घुट्टी... पढ़िए पूरी खबर...

लीलाधर राठी- सुकमा। भाकपा नेता मनीष कुंजाम ने कहा है कि, उनके और हमारे बीच वैचारिक मतभेद जगजाहिर हैं, कुछ आरोप हमने भी लगाये हैं तो कुछ उन लोगों ने भी लगाया है। यह भी सच है कि यह समय मंथन करने का है कि, हम जिस रास्ते से जा रहे हैं और क्या हासिल कर रहे हैं वह उन्हे तय करना है। कांग्रेस के पाप का घड़ा अब भर गया है। कुंजाम ने कहा कि पिछले दिनो मंत्री कवासी लखमा भाकपा को खत्म करने की बात कर रहे थे, वो भाकपा को ही अपनी निकट्तम प्रतिद्वंद्वी मानते हैं। उक्त बातें पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने भाकपा के स्थापना दिवस के अवसर पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कही।

सुकमा जिला मुख्यालय में भाकपा ने 97 वां स्थापना दिवस मनाया। सुकमा जिले के सैकड़ों कार्यकर्ताओ की उपस्थिति में भाकपा नेताओं ने आगामी चुनाव और वर्तमान परिस्थियों पर गहन मंथन किया। इस दौरान वक्ताओं ने 2023 के चुनाव को लेकर कमर कस लेने की भी बात कही। आयोजित कार्यक्रम में कई सरपंच, जनपद सदस्य सहित कई दिग्गज भी शामिल हुए। कार्यक्रम को पूर्व जिपं अध्यक्ष आराधना मरकाम, महेश कुंजाम, हड़मा मरकाम सहित अन्य ने संबोधित किया।

2023 का चुनाव पैसा बनाम विकास होगा : कुंजाम

पर्वू विधायक मनीष कुंजाम ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि, 1990 के चुनाव में मात्र 11,000 रुपये खर्च हुए थे। मेरे परिवार व रिश्तेदार भी कांग्रेसी हुआ करते थे। उस वक्त युवाओं ने बुर्जुगों को समझाया कि गलत पार्टी का साथ छोड़कर पढे लिखे लोगों का साथ देवें। हालांकि उस वक्त विरोधियों के पास पैसों की कोई कमी नहीं थी। श्री कुंजाम ने कहा कि, छठवीं अनुसूची के समय गलत प्रचार किया गया कि, अगर भाकपा जीत गई तो सबको भगा देगी। उसके बाद के चुनावों मे बड़ी कंपनियां आईं और जमकर पानी की तरह पैसा फेंक कर हमे हराने का सफल प्रयास भी किया गया। पैसों और दारू का चलन भी चुनाव का हिस्सा बनता गया। चूंकि वर्तमान में तो यहां के विधायक कांग्रेस से हैं मंत्री पद पर भी हैं। तो 2023 के चुनाव में तो खुलकर सब कुछ होगा, जिसकी कल्पना तक नहीं की गई है। कांग्रेस द्वारा इस चुनाव में कम से कम 5 हजार रुपये और ज्यादा से ज्यादा पचास हजार रुपये तक बांटे जाऐंगे। भानुप्रतापपुर में चुप रहने के लिए सरपंचों को 3-3 लाख रुपये तक दिऐ गये। चुनाव को लेकर हम अपनी तैयारी को यहां सार्वजनिक नहीं करेंगे, लेकिन इस बार 2023 में सभी को खरीदने का प्रयास होगा। लेकिन सवाल जो लोगों के बीच लाना है कि आखिर 25 वर्ष के इस कुशासन को भगाना है या फिर सहते रहना है।


कांग्रेस के दिन लदने वाले हैं

पूर्व विधायक श्री कुंजाम ने कहा कि आने वाले दिनों मे कांग्रेस के दिन लदने वाले हैं। 1990 के चुनाव में गांव के मुखिया लोगों ने पैसा लेकर भी कांग्रेस को वोट नहीं दिया, वही इतिहास इस बार भी दोहराना है। श्री कुंजाम ने कहा कि, कुछ गांवों में इस तरह का माहौल बनने लगा है। कांग्रेस के पाप का घड़ा अब भर गया है। श्री कुंजाम ने कहा कि पिछले दिनो मंत्री कवासी लखमा भाकपा को खत्म करने की बात कर रहे थे, वो भाकपा को ही अपना निकट्तम प्रतिद्वंद्वी मानता है। रायपुर के पत्रकारों में भी यह चर्चा कांग्रेस के लोग कहते फिर रहे हैं। जो लोग खत्म करने की बात कह रहे हैं वो एक तरह का आर्शीवाद ही है।


आजकल 'वो' भी नहीं दिख रहे हैं

पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने कांग्रेस के साथ-साथ माओवादियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि, वो लोग भी किधर हैं। सलवा जुडूम के दौरान जरूर बढ़े और सुकमा तक भी आ गये। लेकिन आज वो भी नहीं दिख रहे हैं। हम व हमारी पार्टी का कहना है कि हथियारों और हिंसा का रास्ता ठीक नहीं है। जो हथियारों के साथ रास्ता तय किया वो खत्म हो गये। गनीमत है कि आदिवासी इलाका है, जल-जंगल-जमीन और नदियां हैं तो सब चल रहा है लेकिन हिंसा के रास्ता का अंत तो बुरा ही होना है। श्री कुंजाम ने कहा कि उनके और हमारे बीच वैचारिक मतभेद जगजाहिर हैं। कुछ आरोप हमने भी लगाए हैं तो कुछ उन लोगों ने भी लगाया है। यह भी सच है कि यह समय मंथन करने का है कि हम जिस रास्ते से जा रहे हैं और क्या हासिल कर रहे हैं... वो उन्हे तय करना है। दुनिया मे बहुत सारे संगठन हैं, जो माओवाद के रास्ते चलते रहे हैं। वो लोग भी अपना रास्ता बदल दिये हैं। हमारा पड़ोस नेपाल भी सबसे बड़ा उदाहरण है, आज की तारीख में साउथ अमेरिका में भी रास्ता बदल दिये हैं। हम भी अपील कर रहे हैं उनसे कि इस पर पुर्नविचार करें और मिलकर प्रजातांत्रिक तरीके से लड़ें।

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