कोरोना से मौत की संख्या कम होते ही श्मशान घाट हुए खाली

कोरोना से मौत की संख्या कम होते ही श्मशान घाट हुए खाली
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पिछले दो माह तक कोरोना की वजह से होने वाली मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार के लिए दिन-रात एक करने वाला अमला अब राहत महसूस कर रहा है। इस महामारी की वजह से होने वाली मौत की संख्या घट चुकी है और जिला प्रशासन द्वारा रिजर्व रखे गए चार श्मशान घाट में भी कोरोना से जान गंवाने वालों के शव रोज नहीं पहुंच रहे हैं।

पिछले दो माह तक कोरोना की वजह से होने वाली मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार के लिए दिन-रात एक करने वाला अमला अब राहत महसूस कर रहा है। इस महामारी की वजह से होने वाली मौत की संख्या घट चुकी है और जिला प्रशासन द्वारा रिजर्व रखे गए चार श्मशान घाट में भी कोरोना से जान गंवाने वालों के शव रोज नहीं पहुंच रहे हैं।

कोरोना से मौत की बात करें, तो रायपुर जिले में कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान 31 सौ से ज्यादा लोगों ने दम तोड़ा है। दूसरी लहर के दौरान जिले में एक ही दिन में 80 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। कोरोना से जान गंवाने वालों की मौत के बाद अंतिम संस्कार कोरोना गाइडलाइन के अनुसार करने के लिए नगर-निगम और जिला प्रशासन की टीम बनाई गई थी जिसने रायपुर के साथ आसपास के डेढ़ दर्जन शमशान घाट को कोरोना शव के अंतिम संस्कार के लिए अधिग्रहित किया था।

यहां दिनभर शव लेकर एंबुलेंस का पहुंचना और चिता जलाने का दौर चलता रहता था। अब मृत्यु की संख्या कम होने के बाद केवल चार श्मशान घाट देवेन्द्र नगर, मारवाड़ी श्मशान घाट, गोकुल नगर तथा मौदहापारा कब्रिस्तान को इसके लिए रिजर्व रखा है जहां रोजाना कोरोना से मौत होने वाले की अर्थी नहीं पहुंच रही है। अब तो रायपुर जिले में स्थिति ऐसी हो गई है कि कई दिन चौबीस घंटे में एक भी मौत नहीं हो रही है।

तीन हजार मौत का संस्कार

जिला प्रशासन की ओर से अब तक लगभग तीन हजार लोगों का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के तहत किया गया है। इसमें केवल बीस शव ही ऐसे थे, जिनके परिजन नहीं होने की वजह से जिला प्रशासन द्वारा उनका अंतिम संस्कार किया गया। अफसरों का दावा है कि शुरुआती दौर में भ्रम की वजह से लोग सामने नहीं आ रहे थे मगर समझाने-बुझाने पर भी कई लोग श्मशान घाट तक पहुंचे।

वेटिंग की स्थिति नहीं

एक माह पहले तक आंबेडकर अस्पताल की मरचुरी में कोरोना से जान गंवाने वालों के शव अंतिम संस्कार के इंतजार में तीन से चार दिन तक रखे रहते थे। अब स्थिति बदल चुकी है और कोरोना से जान गंवाने वालों के शव का दिन अथवा दूसरे दिन अंतिम संस्कार कर दिया जा रहा है। इसी तरह एम्स की मरचुरी में भी शव को अधिक इंतजार नहीं करना पड़ रहा है।

परेशानी नहीं

मौत के मामले कम होने की वजह से अंतिम संस्कार के लिए किसी तरह की परेशानी नहीं हो रही है। शहर में चार स्थानों पर ही कोरोना से जान गंवाने वालों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है।


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