गृहमंत्री के गृह जिले में क्राइम की कोचिंग, धारा 302 और 307 हैं गैंग के नाम, नाबालिग हैं दोनों क्राइम ट्रेनर

दुर्ग। जिले में अब एक तरह से क्राइम की भी कोचिंग चल रही है। यहां जेल से छूटे दो आरोपियों ने नशे के आदी युवाओं को क्राइम की कोचिंग देना शुरू कर दिया है। इस कोचिंग में धारा 302 और 307 नाम के दो आरोपी खुर्सीपार, सुपेला, छावनी और जामुल क्षेत्र के युवाओं को चाकूबाजी, ब्लेड कटर से पॉकेट मारी और चैन स्नैचिंग जैसे घटनाओं की ट्रेनिंग दे रहे हैं। ये दोनों नाबालिग एक-दूसरे के विरोधी हैं। इन दोनों ने अपना-अपना गैंग बना रखा है। वे 14 से 17 साल तक के ऐसे लड़कों को अपने साथ मिलाकर ट्रेनिंग दे रही है, जो नशे के आदी हैं और जिन्होंने पढाई छोड़ दी है। इस गैंग के माध्यम से नशे की गोलियां भी युवाओ को उपलब्ध कराई जा रही है। इनके द्वारा युवाओं को ऑनलाइन चाकू मंगाकर उपलब्ध कराया जा रहा है। दुर्ग जेल से छूटे दो आरोपियों ने अपना नाम धारा 302 और 307 रख लिया है। वहीं अब अपने गैंग को बड़ा बनाने और अपना दबदबा कायम करने के लिए इन दोनों ने और भी युवाओं को तैयार करना शुरू कर दिया है। सेक्टर एरिया में दहशत फैलाने के लिए भी इन युवाओं का उपयोग किया जाता है। ट्रक चालकों से लूट व ब्लेड मारकर पर्स लूटने जैसी घटनाओं को अंजाम देने की भी ट्रेनिग दी जा रही है। वहीं पुलिस का मानना है कि दोनों अपराधियों के गैंग की पूरी लिस्ट तैयार की जा रही है। जिसके बाद इन्हें गिरफ्तार किया जाएगा। इस तरह की ट्रेनिंग से दुर्ग जिले में कई अपराधी तैयार हो सकते हैं व कई युवाओं का भविष्य बर्बाद हो सकता है। ये दोनों नाबालिग हैं, जिस कारण पुलिस उन पर कड़ी कार्यवाही करने से भी बच रही है, लेकिन अब इस तरह की घटनाओं की ट्रेनिंग के बाद ऐसे अपराधियों को खुले में छोड़ना पुलिस के लिए खुली चुनौती बन गई है। एसएसपी दुर्ग बद्रीनारायण मीणा का कहना है कि नाबालिग विवाह को अपराध की ओर प्रेरित होने का कारण नशा व पैसे एक कमी है। ऐसे युवाओं को अपराध की दुनिया से वापस लाने के लिए उनकी काउंसलिंग सभी थानों के माध्यम से की जाएगी, वहीं नाबालिगों को अपराध से बचाने ऐसे ट्रेनिंग देने वाले युवाओं को गिरफ्तार कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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