Crime Investigation : डॉग स्क्वाड से डिगा भरोसा, पिछले दो सालों में टावर डंप, फिंगरप्रिंट और फुटेज के सहारे खोजबीन

रायपुर। किसी समय में पुलिस ( Police )की खोजबीन के लिए सबसे अहम कड़ी साबित होने वाले डॉग स्क्वाड (dog squad )अब बेकाम रह गए हैं। खासकर से अपराधिक मामलों की छानबीन के लिए मौके पर गंध सूंघने के साथ शातिरों की खोजबीन के लिए अब डॉग स्क्वाड की महत्ता खत्म मानकर पुलिस की जांच टीमों ने भी शहरों में स्क्वाड से अलग खबर किनारा कर लिया है। रायपुर जिले में डॉ स्क्वाड में 4 खोजी कुत्ते हैं, लेकिन इनकी ड्यूटी अब सिर्फ वीआईपी (vip ) कार्यक्रमों में लगाई जा रही है।
जानकारी के मुताबिक, रायपुर क्राइम एंड सायबर सेल यूनिट(Raipur Crime and Cyber Cell Unit) के रिकार्ड में ही पिछले दो सालों में पुलिस ने नकबजनी, हत्या और फिर उठाईगिरी जैसे मामलों में स्कवाड (squad)को कभी नहीं बुलाया। एक बार जरूर देवपुरी सांई वाटिका डकैतीकांड में डॉग स्क्वाड (dog squad)की मदद ली थी, लेकिन यहां कामयाबी नहीं मिली रायपुर के साथ अब बिलासपुर व दुर्ग (Bilaspur and Durg )जैसों शहरों में भी यही स्थिति रह गई है। भिलाई (Bhilai )स्थिति डॉग ट्रेनिंग सेंटर (training center ) में ही हाल ही में 20 बेल्जियम शेफर्ड डॉग की ट्रेनिंग(belgian shepherd dog training) होने के बाद अब उन्हें शहर के बजाए जंगली क्षेत्रों में पोस्टिंग करने पीएचक्यू से व्यवस्था की गई है। डॉग सेंटर के ट्रेनरों का कहना है, खोजी कुत्तों की डिमांड अब नक्सल प्रभावित इलाकों में ज्यादा है। इसीलिए जंगली क्षेत्रों के हिसाब से ट्रेनिंग दे रहे हैं।
आखिरी बार देवपुरी डकैती में बुलाया
पिछले साल 2022 में अप्रैल महीने में मेडिकल कारोबारी दिनेश साहू के यहां डकैती हुई थी। नकबपोश देर रात घर में घुसकर नकदी और सोने चांदी के आभूषण ले गए। डकैत घर से दोपहिया भी लूटकर भाग निकले। इस मामले में जांच करने पहुंची रायपुर सायबर सेल R क्राइम ब्रांच की यूनिट ने आखिरी बार डॉग स्क्वाड बुलाकर खोजबीन की, लेकिन यहां भी सफलता नहीं मिली। अब किसी भी मामले में डॉग स्क्वाड का इस्तेमाल ही खत्म कर दिया है।
हाईटेक तकनीक से मिल रही सफलता
टावर डंप, फिंगरप्रिंट और फिर सीसीटीवी फुटेज से पुलिस को सबसे ज्यादा सफलता मिली है। पिछले डेढ साल में 2 हजार से ज्यादा केसों की जांच सायबर सेल यूनिट ने की है। इसमें टावर डंप और फुटेज का ही सहारा लिया है। हाईटेक तकनीक से आरोपी पहचाने गए हैं, जहां संबंधित जिले में मुखबिर तैयार कर पेशेवर गिरोह की गिरफ्तारी की है।
ट्रेंड बदल चुका
सायबर सेल के एडिशनल एसपी अभिषेक माहेश्वरी ने बताया कि ,अपराधियों का ट्रेंड अब पूरी तरह से बदल चुका है। डॉग स्क्वाड की महत्ता खत्म हो चुकी है। पुलिस डॉग के बजाए हाईटेक तकनीक के जरिए अपराधियों की खोजबीन करती है। हाईटेक तकनीक के जरिए अपराधियों की खोजबीन आसान है।
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