साइबर फर्जीवाड़ा के करोड़ों रुपए फंसे, पुलिस पहुंची कोर्ट, आज लगाएगी अर्जी

रायपुर। ऑनलाइन सिस्टम में साइबर फर्जीवाड़े के शिकार लोगों को बैंकों से मदद नहीं मिल पा रही। हालात यह है कि रायपुर में ही होल्ड कराए गए करोड़ों रुपए बैंकों में फंस गए हैं, खातेदारों को पैसा नहीं मिला है। नियमों के पेंच में फंसी इस रकम को खातेदारों को दिलाने पुलिस गुरुवार को कोर्ट में अर्जी लगाएगी। कहा जा रहा है कि गुजरात की तर्ज पर यहां भी पैसा वापस खातेदारों को दिलाने का प्रयास किया जाएगा।
एएसपी सिटी, एंटी क्राइम एंड साइबर यूनिट अभिषेक माहेश्वरी के मुताबिक साइहर सेल द्वारा ठगी के शिकार व्यक्ति के अकाउंट की जांच पड़ताल के बाद जिस ठग के अकाउंट में रकम ट्रांसफर होती है, उसे ही होल्ड कराया जाता है। रकम होल्ड होने के बाद प्रक्रिया पूरी करने के बाद ठगी के शिकार व्यक्ति को साइबर सेल उनके साथ ठगी होने का प्रमाणपत्र देता है। उस आधार पर बैंक प्रबंधन को होल्ड रकम को ठगी के शिकार व्यक्ति के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाना चाहिए। बैंक प्रबंधन इसके विपरीत नियमों का हवाला देकर कोर्ट से मामला निपटारा होने के बाद रकम देने की बात कहकर होल्ड रकम पीड़ित के अकाउंट में ट्रांसफर करने से रोक देता है।
गुजरात के नियमों का अध्ययन
पुलिस अफसर के अनुसार ठगी के शिकार व्यक्ति की होल्ड की गई रकम उसके अकाउंट में जल्द से जल्द ट्रांसफर हो पाए, इसके लिए गुजरात की पॉलिसी का अनुशरण किया जाएगा। इसके लिए गुजरात से होल्ड रकम की वापसी प्रक्रिया की जानकारी मंगाकर अध्ययन किया गया। पीड़ित के खाते में होल्ड रकम वापस कराने गुरुवार को डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के पास आवेदन लगाने की जानकारी दी है। आवेदन की सुनवाई के बाद होल्ड रकम वापस कराने की प्रक्रिया शुरू करने की जानकारी पुलिस अफसर ने दी है।
गुजरात में रकम वापस कराने यह प्रक्रिया
ऑनलाइन ठगी के शिकार व्यक्ति साइबर सेल या किसी अन्य माध्यम से अपनी ठगी की रकम होल्ड कराने के बाद सीआरपीसी की धारा 457 के तहत कोर्ट में आवेदन पेश करता है। साथ ही पुलिस द्वारा जारी सर्टिफेकेट जमा करता है। इसके बाद कोर्ट संबंधित से एक बांड भरवाता है। उसके बाद उसके अकाउंट में ठगी की रकम वापसी करने बैंक प्रबंधन प्रक्रिया शुरू करता है।
विवाद होने पर रकम होल्ड किया जाता है
ठगी की रकम वापस कराने में विवाद की स्थिति उत्पन्न होने की स्थिति में पीड़ित के अकाउंट में रुपए तो ट्रांसफर हो जाता है, लेकिन वह उस रकम को खर्च या निकाल नहीं सकता। उदाहरण के लिए किसी ठग ने अलग-अलग लोगों को ठगी के शिकार बनाया है। उनमें से कुछ राशि ठग ने निकाल ली या ऑनलाइन खर्च कर दिया हो, तो पीड़ित के अकाउंट में ट्रांसफर रकम पर यदि कोई दूसरा पीड़ित अपना होने का दावा करता है। ऐसी स्थिति में मामला सुलझने के बाद राशि किसी एक के अकाउंट में ट्रांसफर होगी।
पेंडेंसी बढ़ने से पुलिस की बढ़ी परेशानी
रायपुर में एक वर्ष के भीतर ही ऑनलाइन ठगी के 31 सौ केस रजिस्टर्ड हुए हैं। उनमें से छह सौ 17 लोगों की होल्ड रकम 74 लाख रुपए मिल पाए हैं। ठगी के शिकार 24 सौ लोग अब भी अपनी रकम पाने बाट जोह रहे हैं। ऐसे में पुलिस के पास ठगी के पेंडेंसी मामलों की बढ़ोतरी हो रही है। पुलिस को ऐसे में ठगी के शिकार लोगों की जानकारी सुरक्षित रखने जूझना पड़ रहा है।
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