CG NEWS - छत्तीसगढ़ में अफसरों का गजब खेल, नदी से गायब हो गई 48 लाख की पुलिया... कैसे हो गया खेल, पढ़िए

नौशाद अहमद/सूरजपुर- छत्तीसगढ़ के सूरजपुर से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। जहां पर नया पुलिया गायब होता हुआ दिखाई दिया है। जिसको लेकर इन दिनों क्षेत्र में चर्चाएं जोरो पर है। तस्वीरों में नजर आ रही नदी भैयाथान विकासखंड के ग्राम करकोली और धरतीपारा के मार्ग पर स्थित है। जिसमें पुलिया का निर्माण होना था, जिसको लेकर प्रस्ताव पारित किया गया था। शासन ने इस प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए यहां के ग्रामीणों को सुविधा मुहैया कराने के लिए इस नदी पर 47 लाख 60 हजार रुपए की मंजूरी दी थी। जिले के RES विभाग को जिम्मेदारी सौंपी थी गई है। ताकि एक अच्छे पुल का निर्माण ग्रामीणों के आने-जाने के लिए किया जा सके, लेकिन अधिकारियों की मेहरबानी के कारण आज भी यहां के ग्रामीण पहले की तरह ही नदी पार कर करकोली से धरतीपारा जाने को मजबूर है।
पुल का कोई नामो निशान नहीं...
बता दें, जब इस मामले की जानकारी हमे लगी तो हमारी टीम ने ग्राउंड ज़ीरो पर जाकर स्थिति का जायजा लेना चाहा, जहां हमने पाया कि नदी के दोनों तरफ बड़े-बड़े अक्षरों में पुलिया की लागत के साथ उसके निर्माण का दिनांक साफ स्पष्ट शब्दों में लिखा था। लेकिन वहां कोई भी पुल का नामो निशान नहीं था। कागजों पर तो यह पुलिया ग्रामीणों के आने-जाने के लिए बनानी है। लेकिन दिख नहीं रही...
कलेक्टर ने क्या कहा...
ग्रामीणों से बात करने के बाद हम गायब हुई पुलिया की खोज में RES विभाग पहुंचे, लेकिन विभागीय अधिकारी समय ना होने की बात करते हुए टाल मटोल कर कैमरे से बचते हुए नजर आए, फिर हमने इस मामले की जानकारी जिले के कलेक्टर संजय अग्रवाल को दी, जिसके बाद जांच कमेटी बनाकर रिपोर्ट मंगाई गई थी। क्योंकि पुलिया की लागत कम थी और जिस जगह पुलिया का निर्माण होना था, वहां पर उस राशि में पुलिया का निर्माण नहीं कराया जा सकता था। इसलिए पारित हुई पुलिया को करकोली से लगे ग्राम पंचायत मलगा में बनाया गया है। जांच अभी भी जारी है, जैसे ही तथ्य सामने आएंगे, उसके अनुसार कार्यवाही की जाएगी।
जांच के निर्देश दिए गए...
सूरजपुर कलेक्टर संजय अग्रवाल के निर्देश पर जांच कमेटी ने नदी पर से गायब हुई पुलिया तो जरूर खोज निकालेगी, लेकिन जिस जगह के लिए पुलिया की आवश्यकता थी, वहां आज भी ग्रामीणों को नदी पार कर ही एक तरफ से दूसरे तरफ जाना पड़ रहा है। अब देखने वाली बात होगी कि, ग्रामीणों की इस समस्या का निदान शासन-प्रशासन कब तक करता है और इस जगह पर पुल का निर्माण कब होता है।
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