Cyber fraud : 1935 मामलों में अभी तक 3000 सिम कार्ड इस्तेमाल, 60% से ज्यादा फर्जी

Cyber fraud : 1935 मामलों में अभी तक 3000 सिम कार्ड इस्तेमाल, 60% से ज्यादा फर्जी
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सायबर सेल की यूनिट के अब संभाग के रेंज सायबर थाना में भी केस भेजे जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में लोकल पुलिस के पास पिछले एक साल में 1935 से ज्यादा केस पहुंच चुके हैं। इतने मामलों में ठगों ने करोड़ों रुपये की ठगी की है। केंद्र के पोर्टल पर सीधे दर्ज होने वाली शिकायतों पर भी जांच शुरू हो चुकी है। पढ़िए पूरी खबर...
  • ऑनलाइन ठगी के केस में केंद्र सरकार के पोर्टल में भी मामले
  • सायबर फ्रॉड : नंबरों की जांच का सिरदर्द

रायपुर। प्रदेश में लगातार बढ़ रहे सायबर फ्रॉड (Cyber fraud )के केस (Case)में अब पुलिस के लिए फर्जी नंबरों की जांच बड़ी चुनौती साबित हो रही है। एक साल के आंकड़ों में ही 1935 से ज्यादा शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं, जिसमें ठगों ने 3000 से ज्यादा फोन नंबरों का इस्तेमाल किया है। इनमें 60 फीसदी सिम कार्ड (SIM cards)फर्जी पते और पहचान कार्ड के जरिए शुरू कराए गए हैं। केंद्र सरकार के पोर्टल पर भी 2000 से ज्यादा शिकायतें दर्ज हुई हैं। इनमें ठगों ने लगभग 4000 फोन नंबरों का इस्तेमाल किया है।

जानकारी के मुताबिक स्टेट सायबर थाना (State Cyber Police Station)के पास पहुंचे मामलों में जांच शुरू हुई है, जबकि जिला स्तर पर गठित सायबर सेल की यूनिट के अब संभाग के रेंज सायबर थाना में भी केस भेजे जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में लोकल पुलिस के पास पिछले एक साल में 1935 से ज्यादा केस पहुंच चुके हैं। इतने मामलों में ठगों ने करोड़ों रुपये की ठगी की है। केंद्र के पोर्टल पर सीधे दर्ज होने वाली शिकायतों पर भी जांच शुरू हो चुकी है। पीएचक्यू स्टेट सायबर थाना के अफसरों के मुताबिक लोग फर्जी नंबरों से ठगी का शिकार न हों, इसलिए उन्हें लगातार जागरूक करने का प्रयास है। फर्जी सिम नंबरों का इस्तेमाल होने की वजह से डंप डाटा और सीडीआर निकालने की कार्रवाई भी प्रभावित है। जिलों में पुलिस हर महीने लगभग 50 हजार फोन नंबरों की जांच करती है।

फर्जी नंबरों के जरिए ट्रांजेक्शन

ठगी की वारदात को अंजाम देने के बाद ठगों ने फर्जी नंबरों का इस्तेमाल करते हुए ऑनलाइन रुपए का ट्रांजेक्शन किया है। ई- वॉलेट के जरिए दूसरे खातों में रुपये भेजे हैं या फिर रकम से शॉपिंग की है। अब फर्जी सिम कार्ड होने की वजह से छानबीन प्रभावित है। नोएडा, दिल्ली, झारखंड, यूपी और पश्चिम बंगाल से की गई ठगी में सबसे ज्यादा फर्जी सिम कार्ड इस्तेमाल हुए।

डम डाटा निकालने में मुसीबत

फर्जी नंबरों की जांच के लिए पुलिस के सामने सबसे बड़ी परेशानी डंप डाटा निकालने की है। शिकायतों के आधार पर जिन नंबरों को ट्रेस करने की कोशिश हो रही है, फर्जी नाम पता होने की वजह से अपराधियों की धरपकड़ में देर है । रायपुर जिले में जितने केस का दबाव है, हर महीने 50 हजार से ज्यादा फोन नंबरों की जांच जरूरी है।

ई-वॉलेट से बचाए 50 लाख रुपये

रायपुर जिले में सायबर फ्रॉड के केस में तत्काल संपर्क करने वालों को सायबर सेल से मदद पहुंचाई गई है। सायबर एक्सपर्ट व प्रभारी निरीक्षक गौरव तिवारी के बताए अनुसार, पुलिस से संपर्क करने के बाद दो से तीन सालों में लाखों रुपये वापस हुए हैं। करीब 50 लाख रुपये शिकायत के आधार पर रुकवाया गया। कुछ ऐसे मामले हैं, अब रिकवरी के लिए कोर्ट के समक्ष प्रकरण प्रस्तुत कर रहे हैं।

फर्जी सिम के लिए थम का खेल

झारखंड और जामताड़ा समेत देशभर के ज्यादातर ठग गिरोह ने गांवों में रहने वालों के आधार और फिंगरप्रिंट के जरिए लिए गए सिम कार्ड का इस्तेमाल किया है। पुलिस का कहना है सिम कार्ड कहीं और से नहीं, बल्की मोबाइल दुकानों से खरीदा गया। कई बार सिम कार्ड लेने वाले के थम लेने के बहाने डाटा स्टोर करके उसी से दूसरा सिम जनरेट करा लिया जाता है। इसी से ठगी की वारदात को अंजाम देते हैं।

जामताड़ा से अब फैल गए दिल्ली

सायबर फ्रॉड के नाम से जामताड़ा गैंग देशभर में कुख्यात है, लेकिन गैंग के सदस्य दिल्ली और नोएडा में भी फैल चुके हैं। पुलिस की छापेमारी कार्रवाई के बाद ठिकाना बदला है। नोएडा और दिल्ली में पहले से नाइजीरियन गिरोह सक्रिय है। पीएचक्यू से पकड़े गए नाइजीरियन गैंग ने ठगी के लाखों रुपये साऊथ अफ्रीका के बैंक खाते तक में पहुंचा दिया, जिसकी रिकवरी नहीं हो पाई।

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