स्वास्थ्य विभाग के खतरनाक आंकड़े- छत्तीसगढ़ में प्रति वर्ष 35000 बच्चों की मौत, 5000 निमोनिया से

छत्तीसगढ़: प्रदेश में ठंड के मौसम की शुरुआत हो चुकी है। मौसम वैज्ञानिकों ने इस बार हर साल की अपेक्षा ज्यादा ठंड होने की संभावना जताई है। ठंड के समय बच्चों में निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है। इसकी सही समय पर पहचान करके इलाज न किया जाए तो जानलेवा भी साबित हो सकता है। ऐसे में कोरोना के इस दौर में बच्चों और बुजुर्गों में निमोनिया का खतरा ज्यादा हानिकारक हो सकता है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में हर साल 35 हजार बच्चों की मौत होती है। इनमें 5 हजार से ज्यादा निमोनिया के कारण हैं।
ठंड के समय मौसम अचानक बदलने से फेफड़ों में होने वाले एक तरह के संक्रमण से सांस लेने में परेशानी होती है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है। चिकित्सक इसे ही निमोनिया कहते हैं। अगर निमोनिया के लक्षण बच्चों या बुजुर्गों में दिखें तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। लोगों में जागरूकता लाने के लिए हर साल 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। इस बार भी सरकारी अस्पतालों में यह आयोजन किया जा रहा है।
बिलासपुर जिले में निमोनिया के प्रति जागरूकता लाने के लिए शुक्रवार को कार्यक्रम, कैंपेन व कई जगह पर आयोजन किए जाएंगे हैं। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से भी सभी अस्पतालों में इस दिन जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत जिला अस्पताल के साथ ही सीएचसी व पीएचसी में शून्य से 5 साल तक के बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए जागरूक किया जाएगा। बच्चों के माता-पिता व बुजुर्गों की देखरेख करने वालों को ठंड में निमोनिया व ठंड से बचाने के लिए उपाय भी बताए जाएंगे। कोरोना संक्रमण के चलते लोगों को अस्पताल से दूर रहने की सलाह दी गई थी। खासकर बिना बच्चों के लिए निर्देश जारी हुए थे। इसके चलते बच्चों को लगने वाले टीके भी रुक गए हैं। छत्तीसगढ़ के प्रत्येक सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में बच्चों के लिए निशुल्क निमोनिया का टीका उपलब्ध कराया जाता है। कोरोना की वजह से निमोनिया के साथ ही अन्य टीकों से भी बच्चे वंचित रह गए हैं।
बिलासपुर जिला अस्पताल के आरएमओ डॉ. सीबी मिश्रा बताते हैं कि ठंड में कोविड के साथ-साथ बच्चों में सर्दी का भी खतरा मंडरा रहा है। इसके लिए हमें चाहिए कि हम कोविड नियमों का पालन करें। ठंड के मौसम में बच्चों के साथ-साथ बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें। CMHO डॉ. प्रमोद महाजन ने बताया कि ठंड में सबसे जरूरी अपने शरीर और फेफड़ों को स्वस्थ रखना है। इस दौरान विटामिन सी और डी का सेवन काफी फायदेमंद रहता है। जितना हो सके धूम्रपान एवं प्रदूषण से बचें। ताजा व पौष्टिक भोजन करें।
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक प्रदेश में हर साल छह लाख बच्चे जन्म लेते हैं। मृत्युदर की बात करें तो शून्य से पांच वर्ष तक के 35 हजार बच्चों की किसी न किसी बीमारी की वजह से मौत हो जाती है। इसमें 15 फीसदी बच्चे ऐसे हैं, जो निमोनिया की वजह से जान गवां देते हैं। यही वजह है बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए शासन की ओर से मुफ्त में टीका लगाया जाता है। टीके से वंचित रहना और सही इलाज ना मिल पाना भी मौत का प्रमुख कारण है।
लक्षण
• तेज बुखार
• खांसी आना
• सांस का तेज तेज चलना
• पसली तेज चलना
बचाव
• बच्चे को प्रथम छह माह तक मां का ही दूध दें। मां का दूध बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ता है। इसमें एंटीबॉडीज होती हैं जो बच्चे को रोगों से लड़ने में मदद करती है।
• सर्दी से बचाने के लिए गर्म कपड़े पहनाएं, ठंडी हवा से बचाव के लिये कान को ढंके, पैरों के गर्म मोजे पहनाएं। नंगे पैर ना घूमने दें। ठंडे पानी से दूर रखें।
• समय पर बच्चे का टीकाकरण कराएं। निमोनिया से बचाव करने के लिए पीसीवी के तीनों टीके लगाए जाते हैं।
• सफाई का ध्यान रखें। कीटाणु को फैलने से रोकें, बच्चों के हाथों बार-बार साफ करते रहें
• खांसते और छींकते समय बच्चे की नाक और मुंह पर रुमाल या कपड़ा रखें।
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