छत्तीसगढ़ की बेटी ने रूस में लहराया परचम : अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में हुईं शामिल, शोध लेख प्रस्तुत किया...भारत-रूस संबधों पर की बात

आकाश पवार/पेंड्रा- पेण्ड्रा के नवागांव की रहने वाली क्षिप्रा वासुदेव ने रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व कर अपने गांव और प्रदेश को भी गौरवान्वित किया है। 4 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेकर क्षिप्रा वासुदेव ने अपना और अपने परिवार का नाम रोशन किया है। यह कार्यक्रम रूस के विदेश मंत्रालय के अंतर्गत एक थिंक टैंक गोरचकोव पब्लिक डिप्लोमेसी फंड द्वारा आयोजित किया गया था। अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में क्षिप्रा वासुदेव ने शामिल होकर अपने सर्वश्रेष्ठ सम्मानित शोध लेख को प्रस्तुत किया। जिसकी सब ने सराहनीय की है।
60 से अधिक प्रतिनिधि संवाद के भागीदार बने...
बता दें, एशियाई संवाद रूस और दक्षिण एशिया के बीच संवाद पर यह पहला शोध और शैक्षिक कार्यक्रम सेंट पीटर्सबर्ग स्टेट यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस में सम्पन्न हुआ। इस सम्मेलन में 60 से अधिक प्रतिनिधि संवाद के भागीदार बने। जो रूस, भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, ईरान और उज्बेकिस्तान से आए हुए थे। आप इन तस्वीरों के जरिए देख सकते है कि, मंच के विशेषज्ञ इस क्षेत्र के देशों के साथ-साथ घरेलू मुद्दों और मौलिक रास्ते पर चर्चा कर रहे हैं। जो दक्षिण एशियाई राज्यों की विदेश नीति के पाठ्यक्रम को सीधे प्रभावित करते हैं।

क्षिप्रा वासुदेव ने कहां से की अपनी पढ़ाई पूरी...
क्षिप्रा वासुदेव पेंड्रा जनपद अंतर्गत नवागांव के सरकारी स्कूल में पढ़ने के बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) दिल्ली में सेंटर फॉर अफ्रीकन स्टडीज, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में पीएचडी कर रही हैं। क्षिप्रा के पिता महेश प्रसाद वासुदेव स्कूल टीचर हैं, वहीं मां पार्वती वासुदेव गृहिणी के साथ कृषि कार्य भी करती हैं। क्षिप्रा वासुदेव ने रूस में आयोजित सम्मेलन में पूर्व भारतीय सीनियर राजदूतों, विशेषज्ञों और प्रोफेसरों के साथ बातचीत की, क्षिप्रा को भी इस सभी का मार्गदर्शन मिला, साथ ही उन्हें युवा रूसी शोध विद्वानों, प्रोफेसरों और विधार्थियों से जुड़ने का अवसर मिला है।
भारत-रूस संबंध कितने गहरे हैं...
क्षिप्रा वासुदेव 4 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में बताया कि, भारत-रूस संबंध कितने गहरे हैं और हम एक-दूसरे पर कितना भरोसा करते हैं। लेकिन हमें कृषि, फार्मास्यूटिकल्स, शिक्षा आदि जैसे क्षेत्रों में अपने सहयोग को बढ़ाने की जरूरत है। इसके अलावा उन्होंने, टी 3 फॉर्मूला ट्रेड, ट्रस्ट एंड ट्रांजिशन के बारे में बताते हुए कहा कि, जो आगे रशिया और भारत के आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, मेडिकल छात्र जो रूस में पढ़ रहे थे, उन छात्रों ने अनुभवों साझा किए। इस कार्यक्रम में वैश्विक दक्षिण और यूरेशिया की गतिशीलता और उनके भविष्य के सहयोग के सभी पहलुओं को शामिल किया गया था।

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