कोरोना मुआवजा के लिए नहीं लगेगा डेथ सर्टिफिकेट, ख़ुदकुशी करने वाले पॉजिटिव मरीज भी होंगे मुआवजा के हक़दार

रायपुर. राज्य शासन द्वारा जारी नई गाइडलाइन के बाद कोरोना मृत्यु पर 50 हजार का अनुदान लेने गठित कोविड-19 मृत्यु विनिश्चय समिति द्वारा जारी मृत्यु प्रमाणपत्र की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। अब कोरोना के उपचार से संबंधित दस्तावेजों को भी इसके लिए मान्य किया जाएगा।
राज्य शासन की ओर से राहत आयुक्त एवं सचिव रीता शांडिल्य ने जिला आपदा प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं जिला कलेक्टरों को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया है, जिसमें जिक्र किया गया है कि सीडीएसी द्वारा जारी प्रमाणपत्र की अनिवार्यता नहीं होगी। शुक्रवार को जारी नए नियम में इस बात का जिक्र किया गया है कि अनुदान राशि का आवेदन प्राप्त होने के 30 दिन के भीतर हितग्राही को राशि का भुगतान किया जाएगा। सीधे आवेदन के दौरान अगर कोविड-19 की मृत्यु पर किसी तरह का संदेह उत्पन्न होता है तो गठित कमेटी उपलब्ध दस्तावेजों की जांच कर इस संबंध में प्रमाण पत्र जारी करेगी।
इसके साथ अब कोविड केयर सेंटर अथवा अस्पताल में 30 दिन या उससे अधिक दिन इलाज होने के बाद भी अगर उसकी मृत्यु हो जाती है तो उसकी भी कोरोना से होने वाली मृत्यु माना जाएगा। इसके साथ ही दिशा-निर्देश जारी किया गया है कि इलाज के दौरान अस्पतालों से अगर प्रभावित परिवार को दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए हैं तो उन अस्पतालों से दस्तावेज प्राप्त करने की जिम्मेदारी शिकायत निवारण समिति की होगी। नए निर्देश में कोविड पॉजिटिव होने पर 30 दिन इलाज और उस दौरान आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के परिवार को भी अनुदान राशि का पात्र माना गया है।
नए निर्देशों के मुताबिक मृत्यु प्रमाणीकरण संबंधी शिकायत की अपील सुनने के लिए जिला स्तर पर एक समिति बनेगी। इसमें अतिरिक्त जिला कलेक्टर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जिले में मेडिकल कॉलेज हो तो उसमें मेडिसिन विभाग के प्रमुख और एक विषय विशेषज्ञ होंगे। नगर निगम क्षेत्र में भी ऐसी ही एक समिति बनाई जाएगी। यह समिति सभी दस्तावेजों का परीक्षण कर कोरोना से मृत्यु संबंधी आधिकारिक प्रमाणपत्र जारी करेगी।
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