कोरोना से मौतें कम, पर कारण अब भी लेटलतीफी, रोजाना मंथन

कोरोना की वजह से होने वाली मौतों की संख्या भले ही वर्तमान में कम हो गई है मगर मौत के कारण में किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ है। डेथ ऑडिट कमेटी के मुताबिक अभी भी मौत की मुख्य वजह इलाज में लेटलतीफी है। स्टेट डेथ ऑडिट कमेटी का पुनर्गठन किए जाने के बाद इस पर मंथन का दौर चल रहा है।
कमेटी में शामिल चिकित्सकों का मानना है कि जब कोरोना के मामले अधिक थे तब स्वास्थ्य बिगड़ने पर लोग अपनी बीमारी को संक्रमण मानकर जांच और इलाज कराते थे मगर अब केस कम होने की वजह से लोग जांच कराने में लापरवाही बरतते हैं और कई बार इसकी वजह से इलाज में देर हो जाती है। सप्ताहभर पहले प्रदेश में डेथ ऑडिट कमेटी का पुनर्गठन किया गया है। कमेटी अभी रोजाना होने वाली मौत के मामलों की समीक्षा कर रही है।
प्रदेश में कोरोना संक्रमण केस के साथ मृत्यु के मामले कम हुए हैं मगर यह बंद नहीं हुए हैं। कोरोना से होने वाली मृत्यु के अंकेक्षण का काम कुछ समय तक प्रभावित हुआ था जिसके देखते हुए कमेटी का पुनर्गठन किया गया। इसमें डाॅ. निर्मल वर्मा को अध्यक्ष बनाया गया है। वहीं डाॅ. छाया तिवारी, डाॅ. ओपी सुंदरानी, डाॅ. आरके पंडा, डाॅ. धर्मेंद्र गहवई तथा डाॅ. सोनल दायमा सदस्य बनाए गए हैं।
प्रदेश में साढ़े 13 हजार मौतें
प्रदेश में कोरोना की वजह से अब तक 13 हजार 500 से ज्यादा मौतों के मामले सामने आ चुके हैं। दूसरी लहर में हुई मौतों की कुछ जानकारियां अभी भी सामने नहीं आई हैं। सूत्रों के मुताबिक इन मौतों के मामले धीरे-धीरे मुख्य आंकड़ों में शामिल किए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि मौत की कुल संख्या सामने आने के बाद कुल आंकड़ों में काफी बढ़ोतरी हो सकती है।
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