हठकेश्वर महादेव मंदिर में 600 साल से जल रही धूनी, इससे ही होती है भस्म आरती और महाआरती ,11वीं पीढ़ी से महंत कर रहे सेवा, देवताओं को अग्नि से मिलती है ऊर्जा

हिमांशु शर्मा - रायपुर। शहर के महादेव घाट के पास स्थित प्रसिद्ध हठकेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण के पास भगवान महादेव की प्रतिमा के सामने करीब 600 सालों से बाबा की धूनी जल रही है। मंदिर के महंत सुरेश गिरी गोस्वामी ने बताया कि मंदिर में यह उनकी 11वीं पीढ़ी सेवा कर रही है, जबसे यह धूनी जल रही है। इस अखंड धूनी को शिवगिरी महाराज ने प्रज्ज्वलित किया था, तबसे यह निरंतर जल रही है। प्रतिदिन इसमें बबूल की लकड़ी, आम, चिता की जली हुई लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही ग्रहण, शिवरात्रि, हरेली में उस अखंड धूनी में विशेष पूजा-हवन सिर्फ मंदिर के पुजारी व महंत करते हैं।
भस्म व धूप आरती इससे ही
महाराज ने बताया कि इस जलती हुई धूनी से ही भगवान हठकेश्वर महादेव की धूप-आरती की जाती है। साथ ही धूनी के भस्म से ही प्रात:काल भस्म आरती की जाती है। इस धूनी में आम-बबूल व चिता की लकड़ी के अलावा अन्य चीजों का प्रयोग नहीं किया जाता है। मंदिर के पुजारी व महंत धूनी का ध्यान रखते हैं, छह सौ साल से अधिक समय से यह अखंड धूनी प्रज्वलित है।
देवताओं को अग्नि से मिलती है ऊर्जा
महंत ने बताया कि जहां धूनी है, वहां भगवान समाए होते हैं। जिस प्रकार हवन से ब्रह्मांड शुद्ध होता है, मंत्रों से शक्ति मिलती है, उसी प्रकार देवताओं को अग्नि से ऊर्जा मिलती है।
जूना अखाड़ा में अखंड ज्योति और धूनी
हठकेश्वर महादेव मंदिर के सामने ही जूना अखाड़ा के मंदिर में मां काली के पास अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि जब से मंदिर बना है, तब से ही यह ज्योति प्रज्ज्वलित की गई है। वहीं मंदिर के पास ही हठयोगी बुद्धगिरी महाराज ने मंदिर निर्माण का संकल्प लेकर एक वर्ष तक दुर्वा का रस पीकर तप किया। उस दौरान भगवान का आव्हान कर गुरु के आदेशानुसार वेदमंत्रों के उच्चारण से अखंड धूनी प्रज्ज्वलित की गई। मंदिर निर्माण को करीब 60 वर्ष हो गए हैं।
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