अब 11वीं में प्रवेश को लेकर माथापच्ची, श्रेष्ठ और औसत में फर्क करना स्कूलों के लिए मुश्किल

अब 11वीं में प्रवेश को लेकर माथापच्ची, श्रेष्ठ और औसत में फर्क करना स्कूलों के लिए मुश्किल
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माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा दसवीं कक्षा के परिणाम घोषित कर दिए गए हैं। 4 लाख 61 हजार 93 छात्रों में से 4 लाख 46 हजार 393 अर्थात 96.81 प्रतिशत प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए हैं। नतीजों से छात्रों में भले ही खुशी और जश्न का माहौल हो लेकिन शिक्षाविदों की चिंता इन परिणामों ने बढ़ा दी है।

माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा दसवीं कक्षा के परिणाम घोषित कर दिए गए हैं। 4 लाख 61 हजार 93 छात्रों में से 4 लाख 46 हजार 393 अर्थात 96.81 प्रतिशत प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए हैं। नतीजों से छात्रों में भले ही खुशी और जश्न का माहौल हो लेकिन शिक्षाविदों की चिंता इन परिणामों ने बढ़ा दी है। अधिकतर का कहना है कि छात्रों को थोक में बांटे गए अंकों का असर आज से दो साल बाद 12वीं कक्षा के परीक्षा परिणामों में दिखेगा।

सबसे बड़ी चुनौती फिलहाल 11वीं कक्षा में प्रवेश को लेकर है। दसवीं के परिणाम जारी होते ही 11वीं में प्रवेश के लिए निजी स्कूलों में कवायद शुरू हो जाती है। वहीं सामान्य परिस्थितियों में सरकारी स्कूलों में भी 15 जून से दाखिले प्रारंभ हो जाते हैं। विषय चयन के लिए स्कूलों द्वारा कटऑफ निर्धारित कर दिए जाते हैं। इन कटऑफ के आधार पर ही छात्रों को विषय प्रदान किए जाते हैं। अपने संस्थान के नतीजों को बेहतर दिखाने के लिए स्कूलों द्वारा कमजोर छात्रों को भी बेहतर अंक दे दिए गए हैं। इसलिए कटऑफ का भी कोई औचित्य इस वर्ष नहीं रह गया है।

साइंस के सेक्शन बढ़ेंगे

शिक्षाविद जवाहर सूरी शेट्टी का कहना है, सभी छात्रों को एक जैसे अंक प्रदान कर दिए गए हैं। अब सभी साइंस या मैथ्स जैसे विषयों में आवेदन करेंगे। छात्र संख्या अधिक होने के कारण साइंस-मैथ्स के सेक्शन बढ़ेंगे। कमजोर छात्रों को कठिन विषय आसानी से मिल जाएगा। इसका असर दो वर्ष बाद 12वीं कक्षा की परीक्षा में दिखेगा। कमजोर छात्रों में अत्यधिक आत्मविश्वास आ जाएगा। वे अब पढ़ाई पर कम ध्यान देंगे। स्कूलों ने अपने परिणाम सुधारने थोक में अंक बांट दिए, लेकिन इसके दुरगामी दुष्परिणाम होंगे।

ले सकते हैं एप्टिट्यूट टेस्ट

एनआईटी रायपुर में कॅरियर डेवलपमेंट सेंटर प्रमुख डॉ. समीर वाजपेयी का कहना है कि 11वीं में प्रवेश के लिए छात्रों के एप्टिट्यूट टेस्ट लिए जा सकते हैं। कॅरियर काउंसलर वर्षा वरवंडकर का कहना है कि पढ़ने वाले छात्रों को इससे नुकसान हुआ है लेकिन आगे होने वाली प्रवेश परीक्षाओं सहित अन्य मौकों में उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा। 11वीं में विषय चयन अंकों के आधार पर ना करके क्षमता के आधार पर किया जाए।

एडमिशन काउंसिलिंग के आधार पर

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के राजीव गुप्ता के मुताबिक छात्रों को परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर विषय देने के स्थान पर उनकी काउंसिलिंग की जानी चाहिए। छात्र की रुचि किस विषय में है और किस विषय में वह बेहतर प्रदर्शन कर सकता है इसे ध्यान में रखते हुए ही 11वीं में प्रवेश दिया जाना चाहिए। स्कूलों को इस आधार पर ही इस वर्ष मेरिट बनानी पड़ेगी।

सीबीएसई का पैटर्न बेहतर

अधिकतर शिक्षाविदों का कहना है कि सीबीएसई का पैटर्न बेहतर है। सीबीएसई ने भी 10वीं की परीक्षाएं रद्द की थी और आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर परिणाम तैयार किए जा रहे हैं। लेकिन सीबीएसई ने यह स्पष्ट निर्देश दे दिए हैं कि किसी भी स्कूल का परिणाम उसके पिछले तीन वर्षों के औसत परीक्षा परिणाम से बेहतर नहीं हो सकता। इस नियम के जरिए स्कूलों द्वारा थोक में नंबर बांटे जाने पर रोक लगा दी गई।


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