बस्तर में लाखों वर्ष पुरानी भूगर्भीय गुफा की खोज, वन अफसर ने कहा- जांच के बाद संरक्षण करेंगे

बस्तर में लाखों वर्ष पुरानी भूगर्भीय गुफा की खोज, वन अफसर ने कहा- जांच के बाद संरक्षण करेंगे
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छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर के जंगलों में एक गुफा की खोज की गई है। कई प्राकृतिक रहस्यों से लबरेज बस्तर का घना जंगल आश्चर्यों से अटा पड़ा है। गुफा के लाखों वर्ष पुराना होने का दावा किया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर के जंगलों में एक गुफा की खोज की गई है। कई प्राकृतिक रहस्यों से लबरेज बस्तर का घना जंगल आश्चर्यों से अटा पड़ा है। इसी कड़ी में जगदलपुर से 20 किलोमीटर दूर बस्तर ब्लाक के मुख्य मार्ग से पांच किलोमीटर अंदर एक भूमि विशेषज्ञ ने भूगर्भीय गुफा की खोज की है।

गुफा के लाखों वर्ष पुराना होने का दावा किया जा रहा है। इस संबंध में जगदलपुर सीसीएफ मोहम्मद शाहिद का कहना है कि क्षेत्र का अवलोकन करने के बाद गुफा के संरक्षण और संवर्धन करने की दिशा में कार्य किया जाएगा। गुफा जाने का मार्ग बहुत दुर्गम है।

गुफा की खोज भू-विज्ञान विशेषज्ञ जितेंद्र नक्का ने नरावंड के शिक्षक संदीप बघेल की मदद से की है। गुफा तक पहुंचने दो-तीन छोटे नालों को पार कर चार फीट नीचे उतरते हुए मुख्य नाले के जलमार्ग के नीचे जाना पड़ता है। बारिश के दिनों में गुफा तक पहुंचना संभव नहीं है। गुफा तक पहुंचने पानी शैल के बीच बनी दरारों में जमी मिट्टी को हटाकर जाना पड़ता है।

गुफा के अंदर दो कमरे बने हैं

गुफा के अंदर प्रवेश करने पर वहां प्राकृतिक रूप से निर्मित दो कक्ष मिलते हैं। एक आंतरिक कक्ष या द्वितीय कक्ष और एक बाहरी कक्ष या प्रथम कक्ष। गुफा में दो अलग भागों से रोशनी प्रवेश कर रही है। प्रथम कक्ष में सूरज की रोशनी द्वितीय कक्ष के आरंभ होने के पूर्व तक एक दो जगहों पर महसूस की जा सकती है।

गुफा के द्वितीय कक्ष में किसी भी तरह से रोशनी जाने का साधन नहीं है। दूसरे कक्ष में चमगादड़ देखे जा सकते हैं। प्रथम कक्ष की लंबाई 30 फीट और ऊंचाई 8-10 फीट है, वहीं द्वितीय कक्ष की लंबाई क्रमशः 10 फीट और ऊंचाई 7 फीट के करीब है। दोनों ही कक्ष में शाही चूहों द्वारा बनाए गए बिल देखने को मिलते हैं।

गुफा एक प्रकार के शैल भूरे पत्थर से बनी है

भू विज्ञान विशेषज्ञ के मुताबिक गुफा का निर्माण शैल और भूरे पत्थरों से हुआ है। गुफा दो से तीन नालों के मिलने वाले स्थान पर बनी है। इस वजह से यहां लंबे समय तक नमी बनी रहती है तथा वर्षा और शरद ऋतु के अंत तक यहां प्रवेश करना थोड़ा दुर्गम हो सकता है।

साथ ही बस्तर ब्लॉक मुख्यालय के प्राचीन शिव मंदिर और माता गंगादई का प्राचीन मंदिर है। इसे देखते हुए इस गुफा को पुरातत्व और आध्यात्म से जोड़कर एक पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित किया जा सकता है।

उचित कदम उठाया जाएगा

बस्तर में खोजी गई गुफा के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी। इसके बाद गुफा के संरक्षण और संवर्धन करने के लिए उचित कदम उठाया जाएगा।


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