सक्ती रियासत का विवाद, कोर्ट ने लगाई कुंवर धर्मेंद्र के राज्याभिषेक पर रोक

जांजगीर/सक्ती. सक्ती रियासत के 5वें राजा कुंवर धर्मेंद्र सिंह के राज्याभिषेक पर कोर्ट ने रोक लगा दी है। रानी गीता राणा सिंह ने उन्हें बेटा मानने से इनकार करते हुए राज्याभिषेक पर आपत्ति जताई थी। इसे लेकर कोर्ट में याचिका भी दायर की गई। जिस पर प्रथम सत्र अपर न्यायाधीश गीता निवारे ने सुनवाई करते हुए अगले आदेश तक यथा स्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं। सक्ती राजा एवं पूर्व मंत्री सुरेंद्र बहादुर महामाया मंदिर में मंगलवार 19 अक्टूबर को कुंवर धर्मेंद्र का राज्याभिषेक करने वाले थे। उन्होंने पहले ही अपने उत्तराधिकारी की घोषणा कर दी थी।
सारी तैयारियां भी शुरू हो गई थी। छह दशक बाद ऐसा मौका फिर आया था, जब सक्ती की जनता एक बार फिर राज्याभिषेक की साक्षी बनती। इससे पहले राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह ने महज 18 साल की उम्र में राजगद्दी संभाली थी। वहीं कुंवर धर्मेंद्र 30 साल की उम्र में राजा बनते। लेकिन राजा सुरेंद्र बहादुर के इस फैसले पर रानी गीता राणा सिंह ने ना केवल आपत्ति जाहिर की थी बल्कि उन्होंने न्यायालय में भी याचिका दायर की थी जिस पर सुनवाई करते हुए माननीय न्यायालय ने 19 अक्टूबर को आयोजित विशेष कार्यक्रम पर रोक लगाते हुए आगामी सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं।
हरि-गुजर से लेकर राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह और अब धर्मेंद्र
1865 में 14 रियासतों का गठन हुआ था। उस समय सक्ती छोटी रियासत थी। उस समय बड़ी रियासत बस्तर थी। सक्ती रियासत के सबसे पहले राजा हरि गुजर हुए। उसके बाद उनके पुत्र रूप नारायण सिंह ने 1914 तक गद्दी संभाली। उनका कोई बेटा नहीं था। इकलौती बेटी की शादी रायगढ़ के राजा नटवर सिंह के साथ हुई थी। निधन से गद्दी खाली हुई तो उन्होंने छोटे भाई चित्रभान के बेटे लीलाधर सिंह को गोद ले लिया और 1914 में लीलाधर सिंह का राज्याभिषेक हुआ। उनके बाद जीवन बहादुर राजा बनते, इससे पहले ही अल्पायु में उनका निधन हो गया। उनके निधन होने से उनके पुत्र सुरेंद्र बहादुर सिंह 1960 में 18 साल की उम्र में राजा बने और विरासत को अभी तक 79 वर्ष की आयु तक संभाल रहे हैं। उनके छोटे भाई कुमार पुष्पेंद्र बहादुर सिंह का कुछ वर्ष पूर्व निधन हो चुका है।
रानी कर चुकी हैं पुत्र मानने से इनकार
पूर्व मंत्री और सक्ती राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह की पत्नी गीता राणा सिंह करीब 4-5 माह पहले 30 साल बाद नेपाल से लौटी थीं। उन्होंने बयान जारी कर आरोप लगाया था कि उनके पति (राजा) के नौकर संपत्ति का दुरुपयोग कर रहे हैं। वहीं सुरेंद्र बहादुर ने भी जांजगीर एसपी को लिखित शिकायत देकर कहा था कि रानी उनकी जानकारी और इजाजत के बगैर महल में रहने लगी हैं। बेटे और कर्मचारियों से दुर्व्यवहार कर रही हैं। वे विक्षिप्त लगती हैं, वे उन्हें महल में रखना नहीं चाहते है । वहीं रानी गीता राणा सिंह ने कहा था कि राजा जिसे बेटा बता रहे हैं, वह उनका बेटा नहीं है। उनके पति राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह वृद्ध हो गए हैं और महल में ही आराम करते हैं। महल में कई पुराने नौकर हैं, जो उन्हें भ्रमित कर गलत फायदा लेना चाहते हैं। नौकर धनेश्वर सिंह सिदार के पुत्र धीरेन्द्र एवं छोटे भाई धर्मेंद्र व अन्य लोग रहते हैं। धर्मेंद्र उनका वारिस नहीं है। राजा की पेंशन एवं महल की संपत्तियों से मिलने वाली आय का धर्मेद्र, रोहित दोहरे दुरुपयोग कर रहे हैं और उसमें दूसरे नौकर सहायता कर रहे हैं। वे उन्हें उनके पति को मिलने नहीं देते।
रानी ने जताई आपत्ति
रानी गीता राणा सिंह ने राज्याभिषेक में लोगों से नहीं शामिल होने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि उनके पति राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह ने महल में काम करने वाले नौकर स्व. धनेश्वर गोड़ के पुत्र धर्मेंद्र सिंह को छल पूर्वक गैरकानूनी तरीके से दत्तक पुत्र के रूप में प्रचारित कर रहे हैं। जबकि वे धर्मेंद्र सिंह को आज भी अपना पुत्र नहीं मानते हैं। धर्मेंद्र सिंह का परिवार आज भी महल में बतौर नौकर काम कर रहा है। हम दंपती का दत्तक धर्मेंद्र वारिस नहीं है। पति द्वारा धर्मेंद्र को वारिस घोषित करना और हास्यास्पद है। राज्याभिषेक कार्यक्रम 19 अक्टूबर को आयोजित है। धर्मेंद्र गोड़ आपराधिक प्रवृत्ति का है। उसके खिलाफ स्थानीय थाने और अन्य थानों में कई मामले दर्ज व लंबित हैं। इसलिए इस लोकतांत्रितक प्रणाली में इस राज्याभिषेक के विवाद पूर्ण कार्यक्रम के साक्षी न बनें।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS