पति-पत्नी और बच्चे के डीएनए टेस्ट से विवाद का समाधान, हर साल 20 केस में पुष्टि

लिव इन रिलेशनशिप और प्रेमी-प्रेमिका या पति-पत्नी के बीच हुए विवाद के बाद अब उनके बच्चे के डीएनए टेस्ट से समाधान निकाला जा रहा है। अक्सर विवाद के महिला या पुरुष बच्चे को अपना बेटा-बेटी मानने से इनकार कर देते हैं। इसके बाद कोर्ट पुलिस या फिर आयोग के दखल के बाद मासूमों का डीएनए टेस्ट कराकर बच्चा किसका है इसकी पुष्टि कराई जाती है।
छग में ऐसे एक-दो केस नहीं बल्कि हर साल सैकड़ों केस फाेरेंसिक साइंस लैब रायपुर में आते हैं जिनकी जांच में करीब 20 केस में इनकार करने वाले महिला-पुरुष का ही बच्चा हाेने की पुष्टि होती है। इसके बाद बच्चे को उन्हें सुपुर्द किया जाता है। यही नहीं हर साल रेप के मामलों में संबंधितों का डीएनए टेस्ट कर घटना की पुष्टि कराई जाती है।
हर साल होते हैं 275 डीएनए टेस्ट
अफसरों के मुताबिक रायपुर स्थित फॉरेंसिक साइंस लैब में हर साल करीब 275 मामलों का डीएनए टेस्ट किया जाता है। इनमें महिला-पुरुष द्वारा अपना बच्चा मानने से इनकार करने पर करीब 130 मामलों में डीएनए टेस्ट किया जाता है। इनमें करीब 20 केस में उन्हीं महिला या पुरुष का बच्चा होने की पुष्टि होती है।
120 रेप केस में डीएनए टेस्ट
अफसरों के मुताबिक फोरेंसिक साइंस लैब में हर साल करीब 120 रेप केस के मामले पहुंचते हैं। इनमें डीएनए टेस्ट कर आरोपी की पहचान की जाती है। इससे आरोपी को कोर्ट से सजा दिलाने में पुलिस को आसानी होती है।
लावारिस लाशों के डीएनए टेस्ट के 15 केस
अफसरों के मुताबिक राज्यभर से हर साल लावारिस लाशों के 15 से 20 केस में डीएनए टेस्ट कराया जाता है। डीएनए रिपोर्ट के आधार पर पुलिस द्वारा आगे की कार्रवाई की जाती है।
ऐसे होता है डीएनए टेस्ट
जानकारी के मुताबिक ऐसे मामले जिनमें पुरुष या महिला द्वारा बच्चे को अपना नहीं मानते हैं ऐसे मामलों में कोर्ट महिला आयोग और पुलिस द्वारा डीएनए टेस्ट कराया जाता है। लिखित आदेश के बाद फोरेंसिक साइंस लैब में बच्चा, महिला व पुरष का डीएनए टेस्ट किया जाता है। हाल ही में महिला आयोग छग द्वारा करीब 4 मामलों में बच्चे और उसके मां-पिता का डीएनए टेस्ट कराया गया है।
हर साल 275 डीएनए टेस्ट
फाेरेंसिक साइंस लैब में हर साल करीब 275 केस डीएनए टेस्ट करने आते हैं। इनमें 50 फीसदी ऐसे मामले होते हैं जिनमें बच्चे के माता-पिता कौन हैं, इसकी जांच की जाती है।
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