राजधानी में एकत्र हुए कान, नाक, गला रोग विशेषज्ञ : दसवां सम्मेलन और जीवंत शल्य क्रिया कार्यशाला का शुभारम्भ

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य के कान, नाक, गला रोग विशेषज्ञों का दसवाँ सम्मेलन और जीवंत शल्य क्रिया कार्यशाला का शुभारम्भ आज सुबह हुआ। कार्यशाला में विशेषज्ञ सर्जन लखनऊ के डॉ. राकेश श्रीवास्तव और चित्रदुर्गा के डॉ. N B Prahlada ने कान के पर्दे एवं हड्डी stapes प्रत्यारोपण सर्जरी, स्वाँस नली की जटिल सर्जरी को आधुनिक पद्धति से सरलता से समझाया। इस कार्यशाला और प्रक्रिया का सीधा प्रसारण होटेल Babylon में किया गया। इस प्रसारण को राज्य के विभिन्न क्षेत्रों और बाहर से आए क़रीब 150 नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञों ने देखा।
पढ़े गए शोध पत्र
स्नातकोत्तर छात्रों ने विभिन्न विषयों के शोध पत्र पढ़े और दुर्लभ बीमारियों की जानकारी, निराकरण के उपाय से सम्बंधित पोस्टर प्रदर्शित किए गए। इनमें से सर्वश्रेष्ठ का चयन कर कल के समापन समारोह में पुरस्कृत किया जाएगा। कल डॉ जेपी निगम मेमोरीयल और डॉ. आरएल गुप्ता, डॉ एनके गोयल मेमोरियल ओरेशन विशेषज्ञ सर्जन द्वारा दिया जाएगा। रायपुर की कान, नाक, गला रोग विशेषज्ञों की संस्था AOI द्वारा प्रतिवर्ष अपने गुरुजनों की स्मृति में यह ओरेशन किया जाता है।
ये डाक्टर रहे मौजूद
इनमें मुख्य रूप से डॉ. J K शर्मा उज्जैन से, डॉ. गौतम पिंचा, डॉ प्रवीर बनर्जी, डॉ सुनील नेमा, डॉ गिरीश उमरेडकर, डा. रतन तिवारी दुर्ग-भिलाई से, डॉ. आरती पांडे, डॉ. राजेंद्र जोशी, डॉ. R D पाठक बिलासपुर से, दिनेश पटेल, डॉ. वर्षा मुंगतवार रायगढ़ से, अरुण तिवारी कोरबा से, एनके यदु कवर्धा से, शैलेंद्र गुप्ता, R B सिंह, उषा अरमो अम्बिकापुर सहित डॉ राकेश गुप्ता, आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. सतीश राठी, सचिव डॉ. अनिल जैन, डॉ. अशोक बजाज, डॉ. शैलेंद्र केशरवानी, डॉ दिग्विजय सिंह, डॉ. ओपी लेखवानी, डॉ. रिपुदमन अरोरा, विभागाध्यक्ष डॉ. हंसा बंजारा, डॉ. अजीत डहरवाल, डॉ. अंकुर चंद्राकर, डॉ. रूपा मेहता, डॉ. सतीश सतपूते, डॉ. संजय तिवारी उपस्थित थे। इस कार्यशाला में निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ श्रद्धा अग्रवाल, डॉ. आरती यदु, डॉ. अर्चना पराग का विशेष सहयोग रहा। कार्यशाला की सभी सर्जरी डॉ राकेश गुप्ता के चाँदरानी सरदारीलाल अस्पताल में की गई। उपरोक्त जानकारी आयोजन अध्यक्ष डॉ. सतीश राठी और आयोजन सचिव डॉ. अनिल जैन ने दी।
डॉ एन बी प्रहलाद चित्रदुर्गा बेंगलुरु में मध्य कण॔ के संक्रमण दूर करने और पर और हड्डी पर स्थापित करने के चार ऑपरेशन किए
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