Earthquake : भूकंप से डोली छत्तीसगढ़ की धरती कोरबा और कोरिया में दीवारें दरकीं

Earthquake : भूकंप से डोली छत्तीसगढ़ की धरती कोरबा और कोरिया में दीवारें दरकीं
X
रविवार की सुबह कुछ सेकंड के लिए भूकंप (Earthquake)के झटके महसूस किए गए। सुबह भूकंप आने से अफरातफरी मच गई। पलंग हिलने लगा, लोग घरों से बाहर निकल आए। बताया जा रहा है कि सुबह 9 बजकर 9 मिनट में भूकंप के झटके लोगों ने महसूस किए।पढ़िए पूरी खबर ...

कोरबा / बैकुंठपुर / जीपीएम। छत्तीसगढ़ की उर्जा और कोयला नगरी कहे जाने वाले कोरबा( Korba), उसके पड़ोसी जिले गौरेला-पेंड्रा मरवाही(Gorela-Pendra Marwahi) एवं कोरिया जिले (Korea district )में रविवार की सुबह कुछ सेकंड के लिए भूकंप (Earthquake)के झटके महसूस किए गए। सुबह भूकंप आने से अफरातफरी मच गई। पलंग हिलने लगा, लोग घरों से बाहर निकल आए। बताया जा रहा है कि सुबह 9 बजकर 9 मिनट में भूकंप के झटके लोगों ने महसूस किए। रिएक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.6 आंकी गई है। जिसका में केंद्र कोरबा जिले के पसान क्षेत्र में 22.79 अक्षांश और 82.16 देशांतर T पर जमीन के 0.5 किमी नीचे था। कोरबा, जीपीएम एवं कोरिया जिले में कुछ स्थानों पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। बताया जा रहा है कि सुबह 9 बजकर 9 मिनट पर झटके महसूस किए गए हैं।

प्रदेश की इकलौती वेधशाला में भूकंप की तीव्रता का पता ही नहीं चलता, डाटा जाता है सीधे दिल्ली

बिलासपुर । भूकंप के झटके देश के किसी भी हिस्से में आए, इसकी तीव्रता छत्तीसगढ़ में स्थित इकलौती भूकंप वेधशाला में दर्ज होती है। लेकिन यहां इसकी जानकारी नहीं मिलती। यहां से डाटा सीधे दिल्ली भेज दिया जाता है। दरअसल बहतराई के मौसम विज्ञान केंद्र में प्रदेश की एकमात्र वेधशाला है। यहां ग्लोबल नेटवर्क सिस्टम के जरिए भू-गर्भ की हलचल पर नजर रखी जाती है। सेटेलाइट सिस्टम के जरिए यह रिकॉर्ड सीधे डेटा कलेक्शन केंद्र दिल्ली को भेजा जाता है। बिलासपुर (Bilaspur) में इसकी कोई जानकारी नहीं होती और पूरी निर्भरता दिल्ली पर होती है जहां से घटना होने के काफी देर बाद ही कोई रिपोर्ट मिल पाती है। रविवार को भी ऐसा ही हुआ। कोरबा और पेण्ड्रा में भूकंप के झटके महसूस होने के बाद बिलासपुर केन्द्र में संपर्क किया गया लेकिन कोई खास जानकारी नहीं मिल सकी।

बिलासपुर में दर्ज नहीं होती रीडिंग

मौसम वैज्ञानिक राहुल यादव ने बताया कि, यहां ग्लोबल नेटवर्क सिस्टम के जरिए भू-गर्भ की हलचल पर नजर रखी जाती है। सेटेलाइट सिस्टम के जरिए यह रिकॉर्ड सीधे डेटा कलेक्शन केंद्र दिल्ली को भेजा जाता है। बिलासपुर में रीडिंग दर्ज नहीं होती। रविवार को आए भूकंप का प्रभाव कोरबा और पेण्ड्रा में था। बिलासपुर में कोई असर नहीं हुआ।

अमरकंटक जोन 2 में अधिक खतरा

दरअसल , भूकंप के खतरे के हिसाब से देश को पांच जोनों में बांटा गया है। राज्य में मरकेली स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5 मैग्नीट्यूड तक मापी जा चुकी है। बिलासपुर मुख्यालय से 120 किमी दूर अमरकंटक जोन-2 है। सरगुजा व कोरिया जिले जोन-3 में आते हैं, जहां भूकंप की तीव्रता अधिक होती है। पहले राज्य भूकंप के जोन-4 व जोन-5 में था । सतपुड़ा और विध्यांचल से गुजरने वाली नर्मदा नदी के नीचे भू-गर्भ की चट्टानों में अपभ्रंश है। सिस्मोलॉजी की भाषा में इसे फॉल्ट कहा जाता है। इनमें टकराव के कारण विगत वर्षों में बिलासपुर, सरगुजा, जबलपुर, खरगोन, इंदौर निमाड़ और खंडवा में भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप की तीव्रता वेधशाला में लगी मशीन में दर्ज हो जाती है।

Tags

Next Story