इको टूरिज्म ठप, ढाई माह में सवा करोड़ राजस्व का नुकसान

इको टूरिज्म ठप, ढाई माह में सवा करोड़ राजस्व का नुकसान
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कोरोना संक्रमण के चलते इको टूरिज्म पूरी तरह से ठप पड़ गया है। ज्यादातर जू, अभयारण्य, नेशनल पार्क तथा टाइगर रिजर्व 15 मार्च के बाद से बंद हैं। इसके चलते प्रकृति का आनंद लेने वाले जंगल की सैर करने के साथ जू की सैर से भी वंचित हैं।

कोरोना संक्रमण के चलते इको टूरिज्म पूरी तरह से ठप पड़ गया है। ज्यादातर जू, अभयारण्य, नेशनल पार्क तथा टाइगर रिजर्व 15 मार्च के बाद से बंद हैं। इसके चलते प्रकृति का आनंद लेने वाले जंगल की सैर करने के साथ जू की सैर से भी वंचित हैं। उल्लेखनीय है कि 1 जुलाई से 31 अक्टूबर तक अभयारण्य, नेशनल पार्क तथा टाइगर रिजर्व में पर्यटकों की आवाजाही पर पूरी तरह से रोक रहती है। ऐसे में इन जगहों को बंद रखने का निर्णय लिया जा सकता है। वर्तमान में बिलासपुर स्थित कानन पेंडारी, रायपुर जंगल सफारी, मोहरेंगा तथा नंदनवन पक्षी विहार 15 जून के बाद खुलने की उम्मीद है।

गौरतलब है कि राज्य के टाइगर रिजर्व के साथ नेशनल पार्क, अभयारण्य की सैर करने हर वर्ष मार्च से जून माह के अंत तक भारी संख्या में स्थानीय के साथ दूसरे प्रदेश के पर्यटक आते हैं। इको टूरिज्म का सीजन शुरू होने के साथ ही राज्य में कोरोना संक्रमण ने विकराल रूप धारण कर लिया। इस वजह से पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी पर्यटक जंगल की सैर करने नहीं पहुंच सके। नवंबर तब स्थिति सामान्य होने के बाद एक बार फिर से पर्यटकों की आने की उम्मीद अफसरों को है।

राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य में छाई वीरानी

राज्य के तीन राष्ट्रीय उद्यानों के साथ 11 अभयारण्य में इको टूरिज्म के लिहाज से वर्ष 2021 भी काफी बुरा साबित हुआ है। इको टूरिज्म से जुड़े अफसरों के मुताबिक जनवरी-फरवरी में राष्ट्रीय उद्यान तथा अभयारण्य में थोड़ी-बहुत चहल पहल रही। उसमें भी उम्मीद के मुताबिक पर्यटक यहां सैर करने के लिए नहीं पहुंचे। अफसरों के अनुसार स्थिति सामान्य नहीं होने की स्थिति में नुकसान का आंकड़ा और बढ़ सकता है।

बारिश में प्रजनन काल, इसलिए बंद

वन अफसरों के मुताबिक बारिश का सीजन वन्यजीवों के प्रजननकाल रहता है। इस वजह से 1 जुलाई से 31 अक्टूबर तक नेशनल पार्क तथा अभयारण्य बंद रखे जाते हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि वन्यजीवों के प्रजननकाल में लोगों की आवाजाही से वे बिदक सकते हैं और उनकी प्रजनन क्रिया प्रभावित हो सकती है।

नेशनल पार्क से अभयारण्य में ज्यादा पर्यटक

ज्यादातर पर्यटक टाइगर रिजर्व तथा अभयारण्य की सैर करने जाते हैं। दो नेशनल पार्क धुर नक्सल प्रभावित बस्तर में इंद्रावती तथा कांगेर वैली हैं। इसके साथ ही कोरिया जिले में गुरु घासीदास नेशनल पार्क है। गुरु घासीदास पार्क को छोड़ दें तो अन्य नेशनल पार्क में काफी कम संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। इसके साथ ही ज्यादातर पर्यटक बार नवापारा, अचानकमार के साथ उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व की सैर के लिए जाते हैं। साथ ही जशपुर, रायगढ़ वनमंडल के अभयारण्य में भी पर्यटकों की आवाजाही रहती है।

हर माह लाखों का नुकसान

कोरोना महामारी के चलते नेशनल पार्क, अभयारण्य तथा जू के बंद होने से इको टूरिज्म काफी प्रभावित हुआ है। साथ ही हर महीने लाखों रुपए का नुकसान हुआ है।



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