Education : कॉलेज परीक्षा नहीं ले रहा, हम पर शक कर रहे पैरेंट्स, हमें बचाएं

- अब तक नहीं हो सकी हैं मई-जून में होने वाली सेमेस्टर परीक्षाएं
- 6 माह से घर बैठे हैं छात्र जवाब देते महाविद्यालय प्रबंधन हलाकान
- साइंस कॉलेज के छात्रों की फरियाद
रायपुर। साइंस कॉलेज प्रबंधन (Science College management)इन दिनों बच्चों और पालकों को जवाब देते हलाकान हो गया है। यहां बीएससी द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षाएं (B.Sc second semester examinations) पिछले 6 माह से अटकी हुई हैं। मामला कोर्ट में लंबित होने के कारण मई में होने वाली द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षाएं अब तक नहीं हो सकी हैं। यहां रोजना छात्र अपने पालकों संग परीक्षा की जानकारी लेने पहुंच रहे हैं। छात्र बीते 6 माह से घर बैठे हुए हैं। उनका कहना है कि इतने समय से परीक्षाएं नहीं होने के कारण पैरेंट्स उन पर शक कर रहे हैं।
दरअसल, यहां बीएससी में चार वर्षीय सेमेस्टर परीक्षाओं का पैटर्न लागू कर दिया गया है। इसमें उत्तीर्ण होने के लिए निर्धारित न्यूनतम अंक 40 प्रतिशत हैं। प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा में 750 छात्र शामिल हुए। इनमें से 599 उत्तीर्ण हो गए, जबकि 151 अनुत्तीर्ण रहे। फेल छात्रों में से 33 ने मई माह में कोर्ट में याचिका लगा दी। इन छात्रों द्वारा मांग की गई कि उत्तीर्ण होने के लिए न्यूनतम अंक 33 प्रतिशत निर्धारित किए जाएं। कोर्ट ने अंतिम फैसला आने तक परीक्षा पर रोक लगा दी है।
वस्तुस्थिति बता रहे
साइंस कॉलेज के प्राचार्य प्रो. पीसी चौबे ने बताया कि , छात्रों के अलावा पालक भी परीक्षा संबंधित जानकारी लेने पहुंच रहे हैं। जो भी वस्तुस्थिति है, हम उससे उन्हें अवगत करा रहे हैं।
कल सुनवाई
पिछली पेशी में महाविद्यालय को कोर्ट में सुनवाई की तिथि 27 सितंबर की मिली है। फैसला आने के बाद ही परीक्षा सहित अन्य प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा सकेगी। वहीं महाविद्यालय प्रबंधन ने छात्रों से कहा है कि वे अपनी पढ़ाई जारी रखें। कोर्ट से फैसला आने के सात दिवस के अंतराल में ही उनकी परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी। द्वितीय सेमेस्टर की केवल इंटरनल परीक्षाएं ही हो सकी हैं। जबकि सैद्धांतिक तथा प्रायोगिक परीक्षाएं अभी होना शेष है।
अभिभावक खुद भी पहुंच रहे
सोमवार को परीक्षा करवाने की मांग लेकर पहुंचे एक छात्र ने प्राचार्य से कहा कि उसके पैरेंट्स यह विश्वास नहीं कर रहे हैं कि कॉलेज ने बीते 6 माह से परीक्षाएं रोकी हुई हैं। पैरेंट्स को लग रहा है कि बच्चे ही पढ़ाई नहीं करना चाह रहे हैं। बच्चों ने प्राचार्य से मांग करते हुए कहा कि वे एक अधिसूचना जारी कर दें, ताकि पालकों को दिखा सकें। एक अन्य छात्रा यहां अपने पालक संग पहुंची रही। कॉलेज प्रबंधन द्वारा पूरा मामला समझाने तथा आश्वासन दिए जाने के बाद पालक छात्रा संग लौटे।
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