Education : चुनावी इफेक्ट... स्कूलों में छमाही परीक्षाएं वोटिंग के बाद, रविवि ने बदली पूरक की तारीख

- 20 से 30 नवंबर के बीच ली जाएंगी छमाही परीक्षाएं
- 7 व 17 नंबवर को होने वाली पूरक परीक्षाओं की नवीन तिथि जारी
- भेजा गया गूगल फॉर्म का लिंक, इसके जरिए सीधे मांगी गई प्राध्यापकों से जानकारी
रायपुर। विधानसभा चुनाव (assembly elections)की तारीखों की घोषणा होते ही स्कूलों ( schools )और महाविद्यालयों (colleges )के कलैंडर में भी बदलाव का सिलसिला शुरू हो गया है। समय-सारिणी में चुनाव तारीखों (election dates )के आधार पर बदलाव किया गया है ताकि चुनाव का कोई असर इन पर ना पड़े। स्कूलों में छमाही परीक्षाएं दोनों चरण के मतदान के बाद 20 से 30 नवंबर के मध्य होंगी तो वहीं रविवि ने पूरक परीक्षाओं की तारीखों में बदलाव कर दिया है। रविवि ने संशोधित समय- सारिणी भी जारी कर दी है। रविवि (PRSU ) द्वारा चुनाव संबंधित तारीखों की घोषणा होने के पूर्व ही पूरक परीक्षाओं के लिए टाइम-टेबल घोषित कर दिया। गया था। इसके अनुसार, 7 और 17 नवंबर को भी परीक्षाएं होनी थी। छात्र इसमें मतदान करने तो जाते ही हैं, साथ ही महाविद्यालय और विश्वविद्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की भी इसमें ड्यूटी लगती है। इसे देखते हुए रविवि ने तारीखें बदली हैं। इन तिथियों में बीए, बीएससी और बीकॉम के पर्चे होने थे।
स्कूलों में पढ़ाई तेज
स्कूलों में तिमाही परीक्षाएं सितंबर माह में ही ली जा चुकी हैं। इसके परिणाम भी घोषित कर दिए गए हैं। चुनावी ड्यूटी के पूर्व प्रशिक्षण कार्य में भी शिक्षकों को जाना होता है। इस दौरान बच्चों की पढ़ाई का नुकसान होता है। कम कक्षाएं लगने से सिलेबस वक्त पर पूर्ण नहीं हो पाता और नतीजे भी प्रभावित होते हैं। इसका कोई प्रभाव ना पड़े, इस कारण अभी से स्कूलों में पढ़ाई तेज कर दी गई है ताकि सिलेबस तय वक्त पर ही पूर्ण हो सके। कई स्कूलों में आवश्यकतानुसार अतिरिक्त कक्षाएं भी ली जा रही हैं। वहीं माध्यमिक शिक्षा मंडल ने स्पष्ट कर दिया गया है कि चुनाव का दसवीं-बारहवीं की परीक्षाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पूर्व वर्षो की भांति मार्च के प्रथम सप्ताह से ही बोर्ड कक्षाएं प्रस्तावित हैं।
प्रभावित नहीं होगी पढ़ाई
रायपुर के जिला शिक्षा अधिकारी हिमांशु भारतीने कहा कि, हम छमाही परीक्षाएं मतदान के बाद 20 से 30 नवंबर के मध्य लेंगे। पढ़ाई प्रभावित ना हो, इस तरह से व्यवस्थाएं करेंगे।
गूगल' की शरण में रविवि प्राचार्य नहीं जांचेंगे प्राध्यापक मूल्यांकन योग्य है अथवा नहीं
पं. रविशंकर शुक्ल विवि द्वारा मौजूदा सत्र से मूल्यांकन प्रणाली में बदलाव किए जा रहे हैं। रविवि ने केंद्रीय मूल्यांकन का फैसला सत्र की शुरुआत में ही ले लिया था। इसके बाद अब पूरक परीक्षाओं में भी केंद्रीय मूल्यांकन होगा। रविवि ने पूरक के लिए आवेदन 16 अक्टूबर तक मंगाए थे। पूरक परीक्षाएं 23 अक्टूबर से प्रारंभ हो रही हैं। परीक्षाएं नवंबर अंत तक होंगी, लेकिन शुरुआती पर्चे के बाद ही मूल्यांकन कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा, ताकि समय पर नतीजे जारी किए जा सकेंगे। रविवि ने मूल्यांकन कार्य के लिए उन प्राध्यापकों की जानकारी महाविद्यालयों से मांगी हैं, जो इसके लिए योग्य हैं। लेकिन इस फॉर्मेट में बदलाव किया गया है। अब तक प्राध्यापक ऑफलाइन फॉर्म भरते थे।
इन फॉर्म की जांच करके प्राचार्य इन्हें विश्वविद्यालय संप्रेषित करते थे। इस बार सीधे गूगल लिंक महाविद्यालयों को दे दिया गया है। इस लिंक के जरिए मूल्यांकनकर्ता प्रोफेसर्स स्वयं से संबंधित जानकारी विवि को भेजेंगे। तय होती है न्यूनतम योग्यता प्रत्येक प्रोफेसर को मूल्यांकन की पात्रता नहीं होती है। सेक्शन 28 के तहत नियुक्त होने वाले प्राध्यापक ही मूल्यांकन के लिए पात्र होते हैं। कम से कम तीन वर्ष अध्यापन योग्यता रखने वाले प्राध्यापक ही कॉपियों की जांच कर सकते हैं। संविदा के स्थान पर स्थायी प्राध्यापक को प्राथमिकता दी जाती है। रविवि द्वारा जो गूगल लिंक प्राध्यापकों को दिया गया है, उसकी मॉनिटरिंग की व्यवस्था फिलहाल नहीं की गई है। अर्थात प्राध्यापक द्वारा दी गई जानकारी सत्य है अथवा नहीं, इसकी जांच का आधार तय नहीं हो सका है।
ऐसे में कुछ महाविद्यालय इस व्यवस्था पर भी सवाल उठा रहे हैं।
केंद्रीय मूल्यांकन को लेकर भी रोष 20 वर्ष पश्चात रविवि में केंद्रीय मूल्यांकन की व्यवस्था लौटी है। लेकिन इसे लेकर भी प्राध्यापकों के एक धड़े में विवाद है। केंद्रीय मूल्यांकन के अंतर्गत प्राध्यापकों को कॉपियां घर ले जाने की इजाजत नहीं होगी। उन्हें रविवि द्वारा तय केंद्रों में बैठकर ही कॉपियां जांचनी होगी। वरिष्ठ प्राध्यापक इस व्यवस्था के खिलाफ हैं। उनका कहना है कि इससे अध्ययन कार्य होगा।इससे अध्ययन कार्य प्रभावित होगा। जबकि केंद्रीय मूल्यांकन ना होने पर वे अपनी सुविधानुसार इसका मूल्यांकन कर सकते थे। वहीं रविवि प्रबंधन का कहना है कि केंद्रीय मूल्यांकन लागू होने से नतीजों में तेजी और पारदर्शिता आएगी।
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