Education : 33 साल बाद बदला नियम, एक सत्र के लिए लौटा 80 के दशक का कायदा, 1 लाख 16 हजार का इंतजार खत्म

Education :  33 साल बाद बदला नियम, एक सत्र के लिए लौटा 80 के दशक का कायदा, 1 लाख 16 हजार का इंतजार खत्म
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छात्रों को दो विषयों में पूरक की पात्रता दिए जाने संबंधित प्रस्ताव को अनुमोदन पश्चात शासन को भेज दिया गया है। अब उच्च शिक्षा विभाग द्वारा इस संदर्भ में विश्वविद्यालयों universitiesको आदेश जारी किया जाएगा। पढ़िए पूरी खबर...
  • उच्च शिक्षा विभाग एक-दो दिनों में जारी कर सकता है आदेश
  • दो विषयों में पूरक परीक्षाओं का रास्ता साफ, प्रस्ताव राजभवन से अनुमोदित

रायपुर | पूरक परीक्षाओं (supplementary examinations)का रास्ता अंततः साफ हो गया है। इसके साथ ही एक लाख 16 हजार छात्रों (students) का इंतजार खत्म हो गया है। उच्च शिक्षा विभाग (Higher Education Department)द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को राजभवन( Raj Bhavan) से अनुमोदित कर दिया गया है। राजभवन के सूत्रों के मुताबिक, छात्रों को दो विषयों में पूरक की पात्रता दिए जाने संबंधित प्रस्ताव को अनुमोदन पश्चात शासन को भेज दिया गया है। अब उच्च शिक्षा विभाग द्वारा इस संदर्भ में विश्वविद्यालयों universitiesको आदेश जारी किया जाएगा। चूंकि प्रस्ताव के अनुमोदन में पहले ही विलंब हो चुका है, इसलिए उच्च शिक्षा विभाग एक-दो दिन में परीक्षाओं के आयोजन को लेकर विश्वविद्यालयों को आदेश जारी कर देगा।

शैक्षणिक सत्र 2022-23 की वार्षिक परीक्षाओं में शामिल होने वाले छात्रों में से 72 हजार परीक्षार्थी दो विषय में फेल हुए हैं। वहीं एक विषय में फेल होने वाले छात्रों की संख्या 44 हजार है। इस तरह से 1 लाख 16 हजार छात्र पूरक परीक्षाओं में शामिल होंगे। गौरतलब है कि प्रदेश में 9 राजकीय विवि हैं। इनमें से इन विश्वविद्यालयों द्वारा आयोजित वार्षिक परीक्षाओं में 72 हजार 51 छात्र दो विषयों में फेल रहे। ये परीक्षा दिलाने वाले छात्रों की संख्या का 14 प्रतिशत है। एक लाख 9 हजार 112 छात्र दो से अधिक विषयों में फेल हुए हैं। दो से अधिक विषयों में फेल छात्रों को किसी तरह की राहत नहीं मिलेगी। उन्हें पुनः उस कक्षा की पढ़ाई करनी होगी।

रविवि ने लिखा था खत

पं. रविशंकर शुक्ल विवि द्वारा कुछ दिनों पूर्व उच्च शिक्षा विभाग को इस संदर्भ में खत लिखा गया था । विवि द्वारा पूछा गया था कि पूरक परीक्षाओं में विलंब के कारण वे शैक्षणिक कलेंडर में पिछड़ रहे हैं। इस स्थिति को लेकर उन्होंने मार्गदर्शन मांगा था। दो विषयों में पूरक की रियायत देने संबंधित आदेश के बाद एक • विषय में पूरक प्राप्त छात्रों की परीक्षाएं भी नियत वक्त पर नहीं हो सकी थी। इसे लेकर महाविद्यालय और विश्वविद्यालय प्रबंधन से लेकर छात्र भी चिंतित थे।

अगले सप्ताह खोले जाएंगे पोर्टल

उच्च शिक्षा विभाग से आदेश प्राप्त होते ही विश्वविद्यालयों द्वारा आवेदन प्रारंभ कर दिए जाएंगे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, यदि आदेश एक-दो दिनों के अंतराल में प्राप्त हो जाता है तो रविवि अगले सप्ताह से आवेदन पोर्टल खोल देगा। एक विषय में फेल और पूरक की पात्रता प्राप्त छात्रों से पहले ही आवेदन लिए जा चुके है। अब पोर्टल दो विषयों में पूरक प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए खोला जाएगा। पूरक परीक्षाएं अक्टूबर माह के अंत से प्रारंभ की जाएंगी। अन्य विश्वविद्यालयों द्वारा भी अक्टूबर में आवेदन मंगाकर अंत तक परीक्षाएं शुरू कर दी जाएंगी।

बदलाव सिर्फ इस सत्र के लिए

दो विषयों में अनुत्तीर्ण दिए जाने संबंधित बदलाव केवल शैक्षणिक सत्र 2022-23 की परीक्षाओं के लिए ही में अध्ययन कर रहे छात्रों छात्रों को पूरक में पात्रता किया गया है। मौजूदा सत्र के लिए पुराना नियम ही लागू रहेगा। अर्थात 2023- 24 में आयोजित होने वाली वार्षिक परीक्षाओं में केवल एक विषय में फेल छात्रों को ही पूरक की पात्रता मिलेगी।

परीक्षा से 60 दिन पहले गुपचुप बदल दिया पैटर्न

पूरक परीक्षा संबंधित प्रस्ताव को अनुमोदन मिलने से जहां छात्रों ने राहत की सांस ली है तो वहीं पं. रविशंकर शुक्ल विवि के एक फैसले से छात्रों पर नई आफत आ गई है। रविवि ने सेमेस्टर परीक्षाओं में प्रश्नों के पैटर्न में बदलाव कर दिया है। नए नियम दिसंबर से होने वाली सेमेस्टर परीक्षाओं पर लागू होंगे। इस तरह से परीक्षाओं से मात्र 60 दिन पहले रविवि ने पैटर्न में बदलाव किया है। सत्र के प्रारंभ से ही महाविद्यालय पुराने पैटर्न के आधार पर परीक्षा की तैयारी करवा रहे हैं। अचानक बदलाव से छात्रों संग महाविद्यालय प्रबंधन भी सिर पकड़कर बैठ गया है। अचानक बदलाव से एक बार फिर से परीक्षा परिणाम खराब होने का डर उन्हें सता रहा है। नए पैटर्न के अनुसार, प्रश्नों की संख्या 45 से घटाकर 16 से 20 कर दी गई है। कम अंकों वाले छोटे सवालों को प्रश्नपत्रों से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। अब छात्रों को परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए बड़े सवालों पर ही निर्भर रहना होगा। पूर्व में ना तो इस संदर्भ में महाविद्यालयों को कोई सूचना दी गई और ना ही कोई चर्चा की गई। इसे लेकर कई महाविद्यालय प्रबंधन में आक्रोश की स्थिति है।

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बदलाव

सेमेस्टर परीक्षाओं में छोटे सवालों तथा वैकल्पिक सवालों को विशेष रूप से शामिल किया गया था। प्रतियोगी परीक्षाओं में इसी पैटर्न के सवाल पूछे जाते हैं। छात्रों की तैयारी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हो सके तथा उनकी शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़े, इसलिए यह व्यवस्था की गई थी। अधिक सवाल पूछे जाने से छात्रों का वास्तविक मूल्यांकन संभव हो पाता था।

ऐसा है नया पैर्टन

80 अंकों का प्रश्नपत्र : इसमें 2 अथवा 2.5 अंक के 8 या 10 सवाल बहुवैकल्पिक, रिक्त स्थान अथवा एक शब्द में उत्तर वाले होंगे। 4 अथवा 5 अंकों वाले 4 या 5 सवाल पूछे जाएंगे। इसी तरह 10 अथवा 8 अंक वाले 4 या 5 प्रश्न आएंगे। इस तरह से छात्रों से कुल 16 से 20 सवाल पूछे जाएंगे।

100 अंकों का प्रश्नपत्र: इसमें 2 अथवा 2.5 अंक के 8 या 10 सवाल बहुवैकल्पिक, रिक्त स्थान अथवा एक शब्द में उत्तर वाले होंगे। 75 अथवा 6 अंकों वाले 4 या 5 सवाल पूछे जाएंगे। इसी तरह 12.5 अथवा 10 अंक वाले 4 या 5 प्रश्न आएंगे। इस तरह से छात्रों से कुल 16 से 20 सवाल पूछे जाएंगे।

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