कर्नाटक चुनाव में ‘छत्तीसगढ़ मॉडल’ का असर : सीएम भूपेश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रदेश की योजनाओं से बनाया था माहौल

कर्नाटक चुनाव में ‘छत्तीसगढ़ मॉडल’ का असर : सीएम भूपेश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रदेश की योजनाओं से बनाया था माहौल
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कर्नाटक में इस बड़ी जीत के कई कारण हैं। इसमें पिछली सरकार के भ्रष्टाचार, एंटी इनकंबेंसी, टिकट वितरण से नाराज नेता, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा, बजरंगी विवाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार के खिलाफ जबरदस्त आक्रमण जैसे ढेरों कारण एनालिसिस करने वाले बता देंगे। मगर इन सभी वजहों के साथ-साथ एक और अहम कारण जिसका जिक्र नहीं है या कम है वह है कांग्रेस का ‘छत्तीसगढ़ मॉडल’। पढ़िए पूरी खबर...

रायपुर। कर्नाटक में भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर पर सवार होकर कांग्रेस ने शनिवार को स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया। परिणामों के मुताबिक 224 सदस्यीय विधानसभा सीटों में 136 पर जीत हासिल कर ली। भाजपा ने 65 सीटों पर जीत दर्ज की है। जनता दल (सेक्युलर) 19 सीटें जीती। इसके साथ ही कर्नाटक में कांग्रेस ने 10 साल बाद अपने दम पर सत्ता में वापसी करते हुए को भाजपा को उसके कब्जे वाली एकमात्र दक्षिणी राज्य से बाहर कर दिया। मतदाताओं ने 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले चुनावी पुनरुत्थान की कोशिशों में लगी देश की सबसे पुरानी पार्टी का निर्णायक समर्थन किया है। पिछले साल दिसंबर में हिमाचल प्रदेश के बाद भाजपा की यह दूसरी हार है। राज्य में 10 मई को मतदान हुआ था।

वहीं, कर्नाटक में इस बड़ी जीत के कई कारण हैं। इसमें पिछली सरकार के भ्रष्टाचार, एंटी इनकंबेंसी, टिकट वितरण से नाराज नेता, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा, बजरंगी विवाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार के खिलाफ जबरदस्त आक्रमण जैसे ढेरों कारण एनालिसिस करने वाले बता देंगे। मगर इन सभी वजहों के साथ-साथ एक और अहम कारण जिसका जिक्र नहीं है या कम है वह है कांग्रेस का ‘छत्तीसगढ़ मॉडल’। यदि कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र को देखा जाए तो ऐसा क्यों कहा जा रहा है यह बिलकुल साफ हो जाता है। पार्टी ने जिस तरह हिमाचल प्रदेश में छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं को वहां प्रचारित कर और उसके वादे कर चुनाव में सफलता पाई थी, ठीक वैसा ही कर्नाटक में भी किया गया।

कर्नाटक कांग्रेस का घोषणा पत्र और छत्तीसगढ़ में चल रही योजनाएं

1. हर घर के लिए 200 यूनिट बिजली फ्री (छत्तीसगढ़ में पहले से बिजली बिल हॉफ योजना चल रही है, यहां 400 यूनिट तक बिजली खपत पर आधा बिल माफ है)

2. ग्रेजुएट बेरोजगार को 3 हजार रुपए महीने बेरोजगारी भत्ता (यहां इसी साल से बेरोजगार युवाओं को 2,500 रुपए बेरोजगारी भत्ता देने की शुरुआत की गई है)

3. हर परिवार को 10 किलो चावल फ्री (छत्तीसगढ़ में हर परिवार को 35 किलो चावल फ्री देने की योजना पहले से जारी है)

4. ओल्ड पेंशन योजना लागू करने की घोषणा (छत्तीसगढ़ ने ओल्ड पेंशन योजना लागू कर दी है और 90 फीसदी से ज्यादा सरकारी कर्मचारी इसमें आ गए हैं)

5. तीन रुपए किलो में गोबर खरीदने का वादा (छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना के तहत गौ पालकों से 2 रुपए किलो में गोबर खरीदा जा रहा है)

6. परिवार की महिला मुखिया को 2 हजार रुपए प्रति माह देने का वादा (छत्तीसगढ़ में सीधे ऐसी योजना नहीं है, लेकिन इसी साल शक्ति स्वरूपा योजना लागू की जा रही है, जिसमें महिलाओं को 30 हजार तक मदद दी जाएगी)

कर्नाटक कांग्रेस के घोषणा पत्र में यह योजनाएं सीधे तौर हमारे प्रदेश से ली गईं। कांग्रेस ने देखा कि ओल्ड पेंशन योजना के वादे पर हिमाचल में पार्टी को जबरदस्त सफलता मिली, लिहाजा इसे यहां भी जोड़ दिया गया। चुनावी नतीजों से जाहिर है कि कांग्रेस के छत्तीसगढ़ मॉडल को लगातार दूसरे राज्य में भी जनता ने स्वीकार कर लिया।

कर्नाटक में पार्टी के स्टार प्रचारक थे सीएम बघेल

उल्लेखनीय है कि, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कर्नाटक चुनाव में पार्टी के स्टार प्रचारक थे। उन्होंने वहां सभा ली, बैठकें कीं, लेकिन सबसे अहम रही उनकी 6 मई को बेंगलुरु में ली गई प्रेस कॉन्फ्रेंस। चुनावी रणनीति बनाने वालों ने इसे प्रदेश की राजधानी में वोटिंग से 4 दिन पहले रखा। हिमाचल में भी भूपेश बघेल ने इसी तरह मतदान से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर छत्तीसगढ़ में चल रही योजनाओं के बारे में बताया था और उन्हें हिमाचल प्रदेश में लागू करने का वादा किया था। ठीक इसी तरह कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार के साथ बघेल ने मतदान से पहले देश-प्रदेश के मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने इसमें बताया कि कर्नाटक प्रदेश के घोषणा पत्र में शामिल योजनाएं छत्तीसगढ़ सरकार कितनी सफलता से चला रही है और आम जनता को कितने हजार करोड़ रुपए बांट चुकी है। 6 और 7 तारीख को उनका यह बयान पूरे मीडिया में था। कांग्रेस को निश्चित ही इस रणनीति का फायदा पहुंचा।

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