दूसरे साल भी मस्जिदें सूनी, घर पर रहकर अता की नमाज, कोरोना से मुक्ति के लिए मांगी दुआ

महामारी में दूसरे वर्ष भी ईद के मौके पर शहर की मस्जिदें सूनी रहीं। गुरुवार रात आसमान पर ईद के चांद का दीदार करने के बाद शुक्रवार को घर-घर ईद की नमाज अता की गई। गाइडलाइन के अनुसार परिवार के साथ लोगों ने घर पर ही ईद मनाई। मस्जिदों में पांच लोगों से ज्यादा को प्रवेश नहीं देने की अनुमति के चलते मस्जिद प्रमुखों ने ही नमाज अता करने की परंपरा निभाई। शहर-ए-काजी मौलाना मोहम्मद अली फारुकी ने बताया है कि महामारी से देश को निजात पाने दुआ मांगी गई है। ईदगाहभाठा मैदान में हर साल 10 हजार से अधिक लोग नमाज पढ़ने के लिए एकत्रित होते थे। इस बार मात्र पांच लोगों ने ही परंपरा का निर्वाह किया। उन्होंने बताया, कुछ लोग सुबह मस्जिद पहुंचे थे उन्हें फिर घर भेजा गया। नियमों का पालन करने मस्जिदों के बाहर पुलिस बल की तैनाती की गई थी।
विशेष सजावट नहीं, सिर्फ लाइटिंग ही
संक्रमण और लॉकडाउन के कारण ईद की मुबारकबाद देने घर-घर जाने के स्थान पर लोगों ने फोन के जरिए एक-दूसरे को ईद की बधाई दी। घरों में भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए नमाज व इबादत की गई। घर में नमाज अता कर छोटों ने बड़ों से ईदी मांगी। मीठी सेवईयां बनाकर खुशियां बांटी। लोगों का कहना है कि लॉकडाउन होने से इस वर्ष इबादत करने का भरपूर समय मिला। ईद में मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए अब सालभर इंतजार करना होगा। मस्जिद के आदेश अनुसार शहर में सार्वजिनक कार्यक्रम नहीं हुए। मस्जिदों में लॉकडाउन के कारण विशेष रंग-रोगन नहीं किया जा सका। केवल लाइटिंग के जरिए ही विशेष सजावट की गई थी।
मदरसा के अनाथ बच्चाें की करें सहायता
शहर-ए-काजी ने लोगों से जरूरतमंदों की मदद करने को कहा। महामारी को बढ़ने से राेकने के लिए अधिक से अधिक घर में रहने की सलाह दी गई। लाेगों से कहा गया कि संकट की घड़ी में सभी एक-दूसरे की मदद करें। शासन द्वारा जारी नियमों का पालन करें। मदरसा में रहने वाले अनाथ बच्चों की सहायता के लिए आगे आएं। दीन-दुखियों की मदद करें। जब तक बीमारी खत्म नहीं होती, बेवजह घर से बाहर न निकलें।
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