रीडरों की मनमर्जी से रीडिंग के बाद तत्काल कई क्षेत्रों में अपलोड नहीं होता बिजली बिल

रीडरों की मनमर्जी से रीडिंग के बाद तत्काल कई क्षेत्रों में अपलोड नहीं होता बिजली बिल
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प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को छत्तीसगढ़ राज्य पाॅवर कंपनी ने ऑनलाइन रीडिंग की जाे सुविधा दी है, उसकाे रीडरों की मनमर्जी के कारण बड़ा झटका लग रहा है।

रायपुर। प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को छत्तीसगढ़ राज्य पाॅवर कंपनी ने ऑनलाइन रीडिंग की जाे सुविधा दी है, उसकाे रीडरों की मनमर्जी के कारण बड़ा झटका लग रहा है। कहने काे रीडिंग हाेते ही बिल ऑनलाइन हाे जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि अब भी एक से दाे दिन और कई बार तो कई दिनाें तक बिल ऑनलाइन अपलाेड नहीं हाेता। ऐसे में बिल जमा करने में उपभोक्ताओं काे परेशानी हाे रही है। आमताैर पर बहुत कम ऐसे उपभोक्ता होते हैं, जो बिल मिलने पर तत्काल उसका भुगतान करना पसंद करते हैं, लेकिन ऐसे उपभोक्ता की कमी भी नहीं है।

राज्य में 61 लाख से ज्यादा बिजली के उपभोक्ता हैं। इसमें से थाेक में ऐसे उपभाेक्ता हैं, जाे बिल मिलने के बाद तत्काल बिल जमा करने का काम करते हैं, ताकि बाद के झंझट से मुक्ति मिल सके। इन उपभाेक्ताओं काे राहत देने के साथ रीडिंग में हाेने वाली गड़बड़ी काे देखते हुए ही ऑनलाइन बिलिंग की सुविधा प्रारंभ की गई है। राजधानी रायपुर के साथ राज्य के कई जिलाें में अब मीटर की रीडिंग हाेते ही उसी दिन बिजली बिल का भुगतान करना संभव हाे गया है, लेकिन इसमें एक बड़ी समस्या यह सामने आ रही है कि रीडिंग होते ही बिल अपलाेड नहीं हाे रहे हैं। इसके पीछे का कारण जहां ग्रामीण क्षेत्र के कई स्थानों पर नेटवर्क का सही न होना है, वहीं कई स्थानों पर रीडर ही मोबाइल का डाटा बचाने के लिए इंटरनेट बंद कर देते हैं।

माेबाइल एप से रीडिंग

प्रदेश में बिजली के जितने उपभोक्ता हैं। इनमें से ज्यादातर के मीटरों की स्पॉट रीडिंग होती है। दो साल से मोबाइल एप के माध्यम से रीडिंग हो रही है। पहले भी स्पॉट रीडिंग होती थी, लेकिन उसमें गड़बड़ियों की ज्यादा शिकायतों के बाद मोबाइल एप से रीडिंग प्रारंभ की गई है। इसमें रीडर को मीटर की फोटो खींचकर भेजनी होती है। ऐसा करने से पाॅवर कंपनी ने सोचा था, गड़बड़ियों पर पूरी तरह से विराम लग जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका है। ऐसे में अब कंपनी ने एक नई व्यवस्था प्रारंभ कर दी है।

कंपनी का अपना साॅफ्टवेयर

रीडिंग में जो साॅफ्टवेयर पहले उपयोग में लाया जा रहा था, वह रीडिंग का ठेका लेने वाली कंपनी का था। इस साॅफ्टवेयर की एक सबसे बड़ी खामी यह थी कि रीडिंग तो स्पॉट पर हो जाती थी, लेकिन रीडिंग के बाद डाटा सीधे डीसी सेंटर में नहीं जाता था। डाटा मिडिल वेयर में जाता था। इस मिडिल वेयर से ही डाटा बाद में पाॅवर कंपनी के डीसी सेंटर के बिलिंग सर्वर में जाता था। यह डाटा डीसी सेंटर तक जाने में दो से तीन दिन लग जाते थे। इसके बाद ही डीसी सेंटर से बिल बनाकर ऑनलाइन जमा करने के लिए अपलोड किया जाता था। इस समस्या से निपटने के लिए ही कंपनी ने अपना साॅफ्टवेयर बना लिया है। इससे मीटर की रीडिंग होते ही रीडिंग सीधे डीसी सेंटर के बिलिंग सर्वर में जा रही है, लेकिन यहां पर समस्या यह है कि कई स्थानाें में तत्काल बिल अपलोड नहीं हाे रहे हैं।

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