हाथी की मौत से 10 दिन बेखबर रहा वन विभाग, अब अफसरों पर कसेगा शिकंजा

छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में एक जंगली हाथी की मौत के मामले में वन विभाग के अधिकारियों की गंभीर लापरवाही सामने आई है। हाथी की मौत होने के दस दिनों बाद तक विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को इस बात की खबर ही नहीं थी। एक ग्रामीण ने दुर्गंध के आधार पर विभाग को सूचना दी तो ये पूरा मामला सामने आया। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सरकार ने इस मामले को अत्यंत गंभीरता से लिया है। माना जा रहा है कि मामले में जल्द बड़ी कार्रवाई सामने आएगी।
हाथी की मौत बिजली गिरने से, पर दांत गायब
वन विभाग के सूत्रों के अनुसार 11 जून को हाथी की मौत शव मिलने के कम से कम 10 या बारह दिन पहले मौत हुई थी। सरकार ने इस मामले को इसलिए अत्यंत गंभीरता से लिया है, क्योंकि इतने दिनों बाद भी वन विभाग के अमले को इस घटना की जानकारी क्यों नहीं मिली। सूत्रों के अनुसार मामले की जांच रिपोर्ट में भी इस तथ्य को गंभीर माना गया है। दूसरी बात ये कि हाथी के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार मौत आकाशीय बिजली गिरने से हुई लेकिन बड़ा सवाल ये है कि हाथी के दांत कैसे गायब हुए। यह तथ्य भी संदेहजनक माना जा रहा है।
पूरा अमला है तैनात, फिर क्यों नहीं मिली जानकारी
वन विभाग द्वारा मामले की जांच के संबंध में जो तथ्य सामने आए हैं, उन्हें लेकर माना जा रहा है कि पहली नजर में यह मामला विभागीय अधिकारियों कर्मचारियों की लापरवाही का है। सूरजपुर के प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के दरहोरा बीट के कक्ष क्रमांक 101 में नर हाथी का शव पड़ा होने की सूचना वन विभाग को ग्रामीण से मिली थी।
यह इलाका असनापारा व पकनी के बीच के जंगल क्षेत्र का बताया जा रहा है। वहां बीट गार्ड से लेकर फॉरेस्टर, रेंज ऑफिसर, डिप्टी रेंज ऑफिसर, एसडीओ और डीएफओ स्तर के अधिकारियों की तैनाती के साथ जिम्मेदारी तय किए जाने की जानकारी मिली है।
आरोपपत्र हो रहे तैयार
सूत्रों के अनुसार इस मामले में संबंधित अधिकारियों की भूमिका की जांच की जा रही है। इस सिलसिले में संबंधितों के खिलाफ आरोपपत्र तैयार किए जा रहे हैं। बताया गया है कि मामले में जल्द ही कार्रवाई का आदेश जारी किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि पूर्व में भी वन विभाग द्वारा हाथी की मौत में मामले में वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है। दलदल में फंसने से एक हाथी की मौत के मामले को सरकार ने अत्यंत गंभीरता से लिया था। कई वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई थी।
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