पदोन्नति को लेकर मंत्री समूह से संतुष्ट नहीं है कर्मचारी, बोले- अवसाद ग्रसित हो रहे हैं

भोपाल। मध्यप्रदेश के कर्मचारियों-अधिकारियों की पदोन्नति में रोक लगी है। पिछले चार सालों से एक भी कर्मचारी-अधिकारी को पदोन्नति नहीं मिल पायी है। इस दौरान प्रदेश के एक साल से ज्यादा कर्मचारी-अधिकारी पदोन्नति मिलने की आस में रिटायर्ड हो चुके हैं। प्रदेश के कर्मचारी-अधिकारियों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट से पदोन्नति में आरक्षण देने के मामले को लेकर रोक लगी है। अब सरकार ने मंत्री समूह गठित किया है। यह मंत्री समूह पदोन्नति देने के रास्तों पर विचार करेगा और राज्य सरकार को अपनी सिफारिशें भेजेगा। इस मंत्री समूह का अध्यक्ष प्रदेश सरकार के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को बनाया गया है।
पदोन्नति न मिलने से कर्मचारियों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। प्रदेश के कर्मचारी पदोन्नति और डीए की मांग को लेकर तीन चरणों में आंदोलन भी कर चुके हैं। मंत्री समूह के गठन को लेकर कर्मचारियों का कहना है कि इससे समस्या का समाधान होना वाला नहीं है। सरकार स्पष्ट नीति बनाकर सुप्रीम कोर्ट के सामने रखे। तभी समस्या का समाधान हो पायेगा। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि पदोन्नति न होने से कर्मचारी अवसाद ग्रसित हो रहे हैं।
पदोन्नति पर रोक लगने के बाद प्रदेश में एक लाख से ज्यादा कर्मचारी-अधिकारी रिटायर हो चुके हैं। हर साल 7 से 8 हजार कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं, लेकिन सरकार ने इतने दिनों के बाद भी कोई रास्ता नहीं निकाला है, जबकि बिहार सरकार ने कर्मचारियों को सशर्त पदोन्नति देना शुरू कर दिया है। इसमें यह प्रावधान किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद उनको पहली वाले पद पर ही डिमोशन किया जा सकता है।
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